जांच की आंच से घबराये आरईएस ईई, दुरुस्त करा रहे रिकार्ड!

० चीफ इंजीनियर ने करोड़ों के निर्माण कार्यों की जांच कर गड़बड़ी की जताई आशंका, रिकार्ड देखने के बाद बनायेंगे फाइनल जांच रिपोर्ट

 

नवभारत न्यूज

सीधी 11 अगस्त। चीफ इंजीनियर आरईएस जबलपुर को फील्ड में करोड़ों के निर्माण कार्यों की जांच के दौरान बिछिया-भमरहा रोड से घूंघा मार्ग पर बनी क्रास ड्रेनेज पुलिया निर्माण, सिरौला बांध, चिनगवाह-दुबरी मार्ग की बही पुलिया में गड़बडी मिली है। फील्ड की जांच के बाद संबंधित घटिया निर्माण कार्यों के रिकार्डों की जांच होनी है। …जांच की आंच से घबराये आरईएस सीधी ईई अब रिकार्ड को दुरूस्त कराने में मुस्तैद हो चुके हैं।

 

बताते चलें कि आरईएस विभाग सीधी के प्रभारी ईई हिमांशु तिवारी के संरक्षण में जिले में घटिया निर्माण कार्य कराने की होड़ मची हुई थी। जिसकी शिकायतें जिले के बड़े प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही विभाग के बड़े अधिकारियों के पास भी पहुंच रही थी। यह मामला विभाग के प्राथमिकता में आया और उच्च स्तरीय जांच के लिये चीफ इंजीनियर एम.एस.मोरी आरईएस जबलपुर के नेतृत्व में जांच टीम सीधी पहुंची। जांच टीम को आरईएस सीधी के कार्यों में हर जगह व्यापक गड़बडिय़ां मिल रहीं हैं। लाखों के कार्य इतने गुणवत्ताविहीन कराये गये हैं कि जांच टीम के अधिकारी भी हैरत में हैं। जांच के दौरान बिछिया-भमरहा रोड से घूंघा मार्ग में ड्रेनेज पुलिया किसी में दरार तो किसी में निर्धारित मापदंड की कमी के साथ -साथ किसी पुलिया के स्लैब के नीचे निकली हुई छड़ें, निर्माण में मिट्टी वाली रेत के उपयोग के कारण गुणवत्ता में कमी पाई गई।

चीफ इंजीनियर आरईएस जबलपुर श्री मोरी जब सिरौला डैम के निरीक्षण में पहुंचे तो वहां की गड़बडिय़ां देखकर हैरत में पड़ गये। यहां करोड़ोंं की लागत से ऐसा बांध बना दिया गया था जिसमें बरसात के पानी की निकासी के लिये वेस्टवियर भी लेवल में नहीं था। उनके द्वारा मौके पर वेस्टवियर को तोड़वाकर पानी की निकासी करवाई गई। वहीं कुसमी के डेवा पंचायत के बडक़ाडोल-दुबरी मार्ग में ड़ेढ करोड़ की लागत से बनी पुलिया के बहने के मामले में भी कार्यवाई का इंतजार क्षेत्रीय लोग कर रहे हैं।

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घूंघा मार्ग पुलिया निर्माण के मटेरियल सप्लायर रजिस्टर्ड है?

 

बिछिया-भमरहा रोड से घूंघा मार्ग में बनी 21 नग पुलिया निर्माण हेतु प्रशासकीय स्वीकृति के अनुसार करीब 62 लाख की मटेरियल अनिल ट्रेडर्स द्वारा सप्लाई की गई। जिसमें जांच के दौरान पाया गया कि पुलिया निर्माण में मिट्टी वाली खराब रेत का उपयोग किया गया है जिससे गुणवत्ता प्रभावित हुई। इधर नवभारत से चर्चा के दौरान चीफ इंजीनियर आरईएस जबलपुर एम.एस.मोरी ने बताया कि निर्माण कार्यों में मटेरियल की सप्लाई विभाग में रजिस्टर्ड सप्लायर ही सप्लाई कर सकते हैं और मटेरियल सप्लाई हेतु विभाग को कोटेशन प्रक्रिया अपनानी चाहिए। यहां अब ये भी जांच का विषय है कि पुलिया निर्माण में मटेरियल सप्लाई करने वाले अनिल ट्रेडर्स विभाग में रजिस्टर्ड हैं या नही।

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जांच से संतुष्ट नहीं, बदले गये रिकार्ड: राकेश सिंह

 

बिछिया-भमरहा रोड से घूंघा मार्ग में घटिया पुलिया निर्माण के शिकायत कर्ता राकेश सिंह चौहान ने जांच टीम के जांच करने के उपरांत नवभारत से चर्चा करते हुए कहा कि जांच करने आये चीफ इंजीनियर आरईएस जबलपुर एवं अधीक्षण यंत्री आरईएस विभाग रीवा को धोखे में रखकर जिन रिकॉर्ड के आधार पर आरईएस विभाग सीधी के अधिकारियों द्वारा जांच कराई गई है। मुझे शंका है कि वो रिकॉर्ड बदले गये हैं। इसलिए जांच से मैं संतुष्ट नही हूं। चीफ इंजीनियर आरईएस जबलपुर के अंतिम जांच प्रतिवेदन के बाद मैं तय करुंगा कि जांच सही हुई है या नही। यदि जांच रिपोर्ट सही नही होगी तो जांच की जांच कराने के लिए शिकायत करुंगा।

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गड़बड़ निर्माण कार्यों की बदली गई एमबी?

 

विभागीय सूत्रों की यदि बात सही मानी जाये तो जिले में आरईएस विभाग सीधी द्वारा पुल-पुलिया, तालाब, बांध, सडक़ के अरबों रुपए के निर्माण में करोड़ों रुपए की व्यापक रूप से की गई अनियमितता की जांच करने भोपाल, जबलपुर, रीवा, शहडोल की टीम द्वारा अभी तक जांच में मिली गड़बड़ी से घबराये आरईएस ईई विभाग के खास सिपहसालार अधिकारियों को अपने बचाव के लिए कई कार्यों की एमबी और रिकॉर्ड बदलने की जिम्मेदारी दी गई। ईई के ये खास अधिकारी आज रविवार को आफिस से एमबी लेकर गये हैं और अन्य गुप्त स्थान जाकर सुधार किये हैं। यदि इसकी जांच करनी है तो आफिस के सीसीटीवी कैमरे की गहनता से जांच हो जाये तो इसका भी खुलासा हो जायेगा।

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इनका कहना है

 

आरईएस के कार्यों का निरीक्षण करने के लिये वह सीधी आये हैं। प्रथम दिवस दो साइडों का निरीक्षण किया गया। इसमें एक कार्य अपूर्ण है वहीं सिरौली डैम के निर्माण में कमियां पाई गई हैें। आज दूसरे दिन भी उनका निरीक्षण साइडों में जारी रहेगा। स्थल निरीक्षण एवं रिकार्ड देखने के बाद ही वास्तविकता का निर्धारण हो सकेगा।

 

एम.एस.मोरी, चीफ इंजीनियर, आरईएस जबलपुर

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