सिंहस्थ में 10 करोड़ श्रद्धालु नहाएंगे , 30 किलोमीटर घाट बनाएंगे
जल संसाधन विभाग ने बनाई कार्ययोजना, 700 करोड़ होंगे खर्च
प्रमोद व्यास
उज्जैन: सिंहस्थ की तैयारी प्रारंभ हो गई. 12 साल में एक बार लगने वाला महाकुंभ उज्जैन में अब 2028 में लगेगा. महाकुंभ में लाखो साधु-संत एवं करोड़ों श्रद्धालुओं के आने व स्नान के मद्देनजर 700 करोड़ की योजनाएं तैयार की है, जो सिर्फ नदी, घाट, बैराज के लिए है.योजना अनुसार शिप्रा नदी पर 20 बैराज और 30 किलोमीटर लंबे घाट बनेंगे. कुल 500 करोड़ खर्च होंगे, जिसमे शिप्रा नदी पर उज्जैन जनपद के सेवरखेड़ी गांव में 4 मीटर ऊंचा, 180 मीटर लंबा बैराज बनाया जाएगा. बाकी राशि अन्य निर्माण पर भी खर्च होगी.
6 किमी पाइपलाइन
सिलारखेड़ी तालाब तक 6 किलोमीटर लंबी, 1800 मिलीमीटर व्यास की पाइपलाइन बिछाकर शिप्रा में आया अतिरिक्त पानी तालाब में छोड़ा जाएगा. तालाब की जल संग्रहण क्षमता पांच मिलियन क्यूबिक मीटर से बढ़ाकर 51 एमसीएम की जाएगी. यहां 23 मीटर ऊंचा 1200 मीटर लंबा बांध बनाया जाएगा.
जल संकट में काम आएगा
पर्वों पर त्रिवेणी घाट से गऊघाट, भूखीमाता घाट, रामघाट तक जब कभी भी शिप्रा नदी का आंचल सूखने लगेगा तब सिलारखेड़ी तालाब से पानी लेकर शिप्रा में पाइपलाइन के जरिये भर दिया जाएगा. शिप्रा पर 18 बैराज का निर्माण उज्जैन, इंदौर और देवास जिले में किया जाएगा.
खान की होगी रोकथाम
इंदौर से चलकर उज्जैन तक आने वाली खान नदी पर 11 बैराज बनाए जाएंगे. खान और शिप्रा नदी में मिलने वाले गंदे पानी के उपचार के लिए 600 करोड़ रुपये खर्च कर इंदौर-उज्जैन में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए जाने की योजनाएं है. श्रद्धालुओं को आचमन से लेकर स्नान तक क्षिप्रा के जल में कोई समस्या ना आए इसके लिए शुद्धिकरण की योजना पर काम किया जा रहा है. 479 करोड़ 89 लाख रुपये की खान डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना का काम शुरू भी हो गया है।
यहां बनेंगे घाट
उज्जैन में शनि मंदिर से वीआईपी घाट तक 1500 मीटर, वीआईपी घाट से जीवनखेड़ी ब्रिज तक 7175 मीटर, जीवनखेड़ी ब्रिज से वाकणकर ब्रिज तक 3810, वाकणकर ब्रिज से गऊघाट स्टापडेम तक 2938 मीटर, चक्रतीर्थ से ऋणमुक्तेश्वर ब्रिज तक 1590 मीटर, भर्तृहरि गुफा और सिद्धवट से नागदा बायपास तक 11442 मीटर और शनि मंदिर से गोठडा बैराज तक 760 मीटर. इस तरह अन्य मिलाकर कुल लगभग 30 किमी लम्बे घाटों का निर्माण किया जाएगा.
शुद्ध जल से स्नान प्राथमिकता
सिंहस्थ 2028 की कार्ययोजना बनाई जा रही, हमारी कई बैठकें भी हो चुकी है. कुछ प्रोजेक्ट अभी पाइपलाइन में है कुछ पर स्वीकृतियां मध्य प्रदेश सरकार की हो चुकी है. कुछ का भूमि पूजन हो चुका है, जो कार्य प्रारंभ भी हो गए हैं. जल्द ही धरातल पर कार्य दिखने लगेंगे. सबसे अहम उद्देश्य श्रद्धालुओं, साधु संतों व आगन्तु अतिथियों को शिप्रा के शुद्ध जल में स्नान करना है.
– नीरज सिंह, कलेक्टर उज्जैन