मूर्तिकारों के साथ अधिकारियों की बैठक
इस्तेमाल करने पर दर्ज होगा प्रकरण
इंदौर: आगामी त्योहारों के मद्देनजर जिला प्रशासन ने प्लास्टर ऑफ पेरिस के मूर्ति बनाने पर रोक लगा दी है. मूर्तिकारों द्वारा इसके बाद भी पीओपी का उपयोग किया जाता है, उनके खिलाफ प्रदूषण नियंत्रण और एनजीटी एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया जाएगा.कलेक्टर कार्यालय में आज शहर के एडीएम, पुलिस, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम के अधिकारियों के साथ शहर के सभी मूर्तिकारों के साथ बैठक रखी गई थी. बैठक में प्रदूषण नियंत्रण और एनजीटी की गाइड लाइन और नियम से मूर्तिकारों को अवगत कराते हुए हिदायत दी गई.
अधिकारियों ने मूर्तिकारों को स्पष्ट कहा कि प्राकृतिक मिट्टी और प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल से ही मूर्ति का निर्माण करें. साथ ही अभी तक पीओपी की जितनी मूर्ति बना ली है, उसकी सूची अधिकारियों को उपलब्ध करवाएं. जिले के बाहर से पीओपी की मूर्ति ना बुलाएं और ना ही बनाकर भेजें. अधिकारियों ने मूर्तिकारों को हिदायत दी कि आज से पीओपी की मूर्ति निर्माण और केमिकल, रासायनिक वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध लागू कर दिया है.एडीएम ने निगम अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि नदी और तालाबों में मूर्ति विसर्जन पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है. विसर्जन के लिए शहर में अस्थाई जलकुंड और तय स्थानों पर ही सुरक्षित मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था सुनिश्चित करें.
कानूनी कार्रवाई की जानकारी दी
ध्यान रहे कि पिछले कुछ सालों से इंदौर में गणेश उत्सव और नवरात्रि में मूर्ति स्थापित करने की होड़ मच गई है. अब शहर में लगभग पांच हजार स्थानों पर गणपति उत्सव मनाया जाता है. नवरात्रि में दो हजार से ज्यादा स्थानों पर पांडाल सजते है. इसके बाद मूर्तियों को ज्यादातर पंडाल वाले नदी और तालाबों में विसर्जित कर देते है. इससे नदी और तालाबों का पानी दूषित होता है. एनजीटी ने नदी तालाब के पानी शुद्ध रखने के लिए मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाने और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषित पानी से बीमारियों के फैलने का खतरा पैदा होने का अंदेशा जताया है. आज उक्त मामले को लेकर कलेक्टर सभागृह में शहर के मूर्तिकारों को हिदायत और कानूनी कारवाई की जानकारी दी गई