शहर में एक हजार स्थानों पर होलिका दहन के साथ रात से ही सड़कों पर दिखने लगी होली की मस्ती, 25 हजार कंडो से तैयार की गई 15 फीट ऊंची होली
ग्वालियर: शहर में चुनाव आचार संहिता का असर होली के त्योहार पर नजर नहीं आ रहा है। होली की मस्ती और रंग, अबीर, गुलाल का खुमार हर साल की ही तरह दिखाई दे रहा है। शहर में छोटी-बड़ी सभी होली मिलाकर लगभग एक हजार स्थानों पर आज शाम से आधी रात तक होलिका दहन परंपरा व उल्लास के साथ किया गया। हर साल की ही तरह सबसे बड़ी होली सराफा बाजार में जलाई गई। यहां 25 हजार कंडों से विशाल होलिका का निर्माण किया गया जहां रविवार देर रात होलिका दहन किया गया। इस 15 फीट ऊंची होलिका का विधि विधान से पूजन के बाद दहन किया गया। इस अवसर पर सभी की खुशहाली की प्रार्थना की गई।
इसके अलावा अचलेश्वर महादेव मंदिर, सनातन धर्म मंदिर, मोटे गणेश मंदिर, राम मंदिर फालका बाजार, कोटेश्वर महादेव मंदिर, महलगांव करौली माता मंदिर सहित शहर के प्रमुख मंदिरों में होलिका दहन होने के साथ ही रंगों का त्योहार शुरू हो गया। शहर में ज्यादातर जगह आज रविवार को ही होलिका दहन किया गया। रविवार रात 11.13 बजे होलिका दहन का शुभ मुहूर्त था लेकिन कई कॉलोनियों में शाम से ही होलिका दहन शुरु हो गया।सराफा बाजार की होलिका उत्तरी मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी होलिका है । इसमें पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से एक भी लकड़ी का उपयोग नहीं किया गया। इसमें सिर्फ कंडों का उपयोग किया गया। खास बात ये भी है कि यह कंडें गौ के गोबर के थे जो गौशाला से मंगवाए गए।
इस होलिका को सजाने में आधा दर्जन मजदूर दो दिन पहले से जुटे हुए थे यानी इसे तैयार करने में दो दिन का समय लगा। इस बार भद्रा होने के कारण होलिका दहन रात सवा ग्यारह बजे किया गया। शहर के हृदय स्थल महाराज बाड़े से सटा सराफा बाजार साधन संपन्न लोगों का इलाका है। यहां होलिका दहन का सिलसिला लगभग ढाई सौ साल पहले सिंधिया रियासत के समय शुरू हुआ था। तब सिंधिया राज परिवार गोरखी महल में रहता था, जो सराफा बाजार से कुछ ही फर्लांग की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि सिंधिया राज परिवार भी महल से सराफा में होलिका दहन में पहुंचता था। अब यह सबसे व्यस्त इलाका है और दस हजार से ज्यादा परिवार यहीं से होली की आग अपने घरों में लेकर जाते हैं। पिछले 100 सालों से इस होलिका दहन को देखने के लिए शहर भर के लोग सर्राफा बाजार पहुंच रहे हैं। सर्राफा बाजार में कारोबारियों द्वारा इस होलिका दहन का आयोजन किया जाता है।
होलिका दहन करने जुटे लोगों को दिलाई मतदान की शपथ
खास बात यह है कि जब शहर की सबसे बड़ी होलिका का दहन किया जाता है, उस वक्त हजारों की संख्या में लोग इस पूजन कार्यक्रम में शामिल होते हैं। लिहाजा लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस बार होलिका दहन में शामिल होने वाले सभी लोगों को मतदान करने के प्रति जागरूक किया गया। सभी को आगामी लोकसभा चुनाव में मतदान करने की शपथ दिलाई गई।
दो किलोमीटर दूर से भी दिखाई देती है यह होलिका
होलिका इतनी आदमकद होती है कि उसके बनाने के लिए सीढ़ी का उपयोग करना पड़ता है। होलिका की प्रतीक मूर्ति को विशेष स्वरूप देते हुए सबसे ऊपर सजाया जाता है। चारों तरफ रंग बिरंगे गुलाल से सजी यह विशाल होलिका दो किलोमीटर दूर से भी दिखाई देती है। इसकी पूजा अर्चना का क्रम शाम से ही शुरू हो जाता है इस होलिका की परंपरा को स्थानीय सराफा व्यवसाई दशकों से कायम रखे हुए हैं। उनका यहां तक दावा है कि यह होलिका पूरे देश की सबसे बड़ी होली है और इसके निर्माण में ईकोफ्रेंडली सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है, लकड़ी का उपयोग नहीं किया जाता।