पन्ना में हीरा की उत्पत्ति हजारों वर्ष पूर्व ज्वालामुखी फूटने से हुई थी

सुरेश पाण्‍डेय पन्‍ना
पन्‍ना: विश्व में सर्वाधिक हीरा अफ्रीका की किम्बरले खदान में पाया जाता है उसके बाद भारत के दक्षिणी छोर कर्नाटक की गोल कुण्डा हीरा खदान एवं पन्ना जिले में पाया जाता है। हीरा आखिर सभी जगह क्यों नहीं मिलता, एवं पन्ना जिले की भूमि के अंदर कैसे बना हीरा? जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार हजारों वर्ष पूर्व बुन्देलखण्ड की इस पन्ना जिले क्षेत्र में ज्वालामुखी फूटा उसके लावा के साथ हीरा ऊपर आया, जूलाजिकल के अनुसार हीरे बनने की प्रक्रिया में कार्बन की उपलब्धता 37 सौ डिग्री सेल्सियस तापमान एवं 1 वर्ग से.मी. के ऊपर 1 लाख मीट्रिक टन का दबाव होना जरूरी है। इसके बाद भूमि की सतह के नीचे पृथ्वी के दबाव को जब नापते हैं तो यह सवा दो कि.मी. से ढाई सौ कि.मी. की गहराई पर यह दवाव बन पाता है. इसके बाद ही कार्बन बनता है तथा कार्बन का ही रूपान्तरण हीरा है। जियोलाजिस्ट के अनुसार जो आज पन्ना जिले की भूमि है यहां पूर्व में विन्ध्य नाम का समुद्र था जहां पर वर्तमान समय पर विन्ध्यांचल पर्वत की श्रृंखलाएं हैं क्योंकि ज्वालामुखी के फूटने से पर्वतमालाओं का निर्माण होता है. जहां समुद्र था वहां पर्वत खड़ा हो गया. पन्ना जिले में ज्वालामुखी का उद्गम स्थल मझगवां (हिनौता) को माना जाता है. इसीलिए उक्त स्थान पर सबसे ज्यादा घने तादात मे हीरा पाया जाता है, जहां से ज्वालामुखी फूटा तथा लावा बहता गया तथा लावा के साथ कंकण, पत्थर एवं काग्लोमेंट आदि सभी बहे जिसे आज की तारीख में हीरा की पाईपलाईन कहा जाता है. मझगवां में सबसे अच्छी किस्म का उज्जवल हीरा निकलता है क्योंकि यहां पर किम्बरलाइट पत्थर है हीरा का सबसे निकटतम मित्र किम्बरलाईट है जिसके साथ वह लावा में ऊपर निकला। जियोलॉजिकल सर्वे आफ इण्डिया ने सन् 1980 से 85 के बीच हीरा के संबंध में सर्वे किया था। उन्होंने पहले ड्रिल किया बाद में पिटिंग की। सर्वे के अनुसार जिले में उक्त कम्पनी ने हीरे को तीन क्षेत्र में बांटा अर्थात तीन ब्लॉक बनाये. जिसमें पहला सहीदन, दूसरा इटवां खास एवं तीसरा हाटूपुर एवं चौथा अनुमानित ब्लॉक माना है जिसे गुन्जाइ के नाम से प्रमाणित किया गया है जिसे वर्तमान समय में गजना के नाम से जाना जाता है। ये तीनों ब्लॉक काग्लोयमेंट से संबंधित है यहां किम्बरलाइट नहीं. देश एवं विदेश की लगभग आधादर्जन कम्पनियां पन्ना एवं छतरपुर जिले में किम्बरलाइट की तलाश में लाखों, करोडों रूपये फूंक दिये लेकिन हिनौता की तरह किम्बरलाइट नहीं ढूंट पायी. शहीदन ब्लॉक का जो ऐरिया है उसमें जनकपुर, हर्राचौकी, महुआटोला, बरम की खुईया, करमटिया, खिन्नीघाट, भुतयाऊ, महिलोन का सेहा आदि हीरा खदानें आती हैं जो वर्तमान समय में वनभूमि में हैं. इसी तरह इटवांखास ब्लॉक के अंतर्गत हजारा, खम्हरिया, जमुनहाई बाबूपुर के पूर्व एवं अहिरगवां से उत्तर दिशा की ओर आता है. सहीदन के काग्लोमेंट का रंग गेरूआ है एवं खम्हरिया के काग्लोमेंट का रंग काला एवं हल्काा लाल है यह सिरस्वाहा रोड की कुलिया तक जाता है। हाटपुर ब्लॉक के अंतर्गत धनौजा तक अचछा काग्लोमेंट हैं तथा इसका क्षेत्र रमखिरिया, बड़गड़ी का मुड्डा, बृहस्पति कुण्ड एवं संपूर्ण सेहाशालिकपुर क्षेत्र आता है। इस तरह से पन्ना जिले में किम्बरलाइट एवं काग्लोमेंट अलग-अलग जगहों पर पाया जाता है।

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