हर साल एक दिन बड़ी कार्रवाई होती है। इसके बाद फिर आदिवासी फसल बो देते हैं। यहां स्थाई वन विभाग की जंबो टीम का कब्जा होना चाहिए। खतरनाक आदिवासी के डर से वनकर्मी तो यहां जाने से डरते हैं। उन्हें भी जान प्यारी है। वन मंत्रालय को विधानसभा में यहां के लिए अलग से कानून बनाना चाहिए। नेताओं का ही संरक्षण है, इसलिए यह संभव नहीं लगता।
आदिवासी भाग खड़े हुए
आदिवासी ज्यादा बल देखकर जानवरों और मुर्गा-मुर्गी, बकरी लेकर भाग खड़े हुए। यहां अकेले वन विभाग के छोटे कर्मियों की ताकत नहीं कि वे आदिवासियों को खदेड़ सकें। डीएफओ राकेश डामोर का कहना है कि शासन स्तर पर सीड बॉल और तार फेंसिंग आदि को लेकर प्रस्ताव भेजा गया था। बजट मंजूर हो चुका है। सरकारी तामझाम में कई राउंड गोलियां, अश्रुगैस के गोले, कई बंदूकें भी ले गए थे।
गोली भी मार सकते थे?
डीएफओ राकेश डामोर, एसडीएम बजरंग बहादुर, फॉरेस्ट एसडीओ संदीप वास्कले, तहसीलदार महेश सोलंकी की टीम मौके पर गई थी। ये अधिकारी इसलिए पहुंचे थे कि यदि किसी तरह का टकराव होता है, तो तुरंत सरकारी टीमें भी उन पर हमला कर सकती है। एसडीएम को गोली मारने के आदेश भी होते हैं। मतलब पूरे तामझाम से ये अधिकारी पहुंचे थे। हालांकि इस तरह की स्थिति नहीं बनी।
जनप्रतिनिधियों का संरक्षण
जंगलों पर आज से आदिवासियों का कब्जा नहीं है। पहले कांग्रेस फिर बाद में भाजपा की सत्ता आई। तभी से आदिवासियों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री तक के खालवा वाले कार्यक्रम में नाकेदारों द्वारा इनके जब्त हल व सामान सीएम के हाथों से वापस किए गए हैं। ये इतने पावरफुल हैं कि चुनाव आने पर इनको लीड करने वाले नेता विधानसभा चुनाव का टिकिट तक मांगते हैं।
नाहरमाल बन गया गढ़
फिलहाल वन विभाग की टीम ने जंगल की 7 हजार एकड़ जमीन पर उगाई गई सोयाबीन और मक्का की खरीफ फसल उजाड़ी है। यह फसल जंगल पर कब्जा करने वाले माफिया ने उगाई थी। सोमवार सुबह करीब 8 बजे से वन विभाग की टीम नाहरमाल सेक्टर के जंगल पहुंची। अवैध रूप से उगाई गई फसलों पर जेसीबी चलवाई। कार्रवाई के दौरान राजस्व और पुलिस अफसरों के साथ 400 जवानों का फोर्स भी था।
खंतियां खोदी जा रहीं
कब्जा हटा रही टीम को बारिश की वजह से दिक्कत भी आईं। जमीन को पूरी तरह कब्जा मुक्त करने में दो से तीन दिन लग सकते हैं। खेत बन चुके जंगल में जेसीबी मशीनों से खंतियां और गड्ढे खोदे जा रहे हैं। फसल को ट्रैक्टर चलाकर रौंदा जा रहा है। खंडवा व बुरहानपुर जिले में करीब 14 हजार एकड़ जंगल पर माफिया का कब्जा है। सबसे अधिक नाहरमाल में ही है।
गड्ढों में डालेंगे सीड बॉल
वन विभाग की टीम के लीडर राकेश डामोर के मुताबिक, ट्रैक्टरों से फसल को नष्ट कर रही है, ताकि आर्थिक रूप से माफिया की कमर तोड़ी जा सके। जेसीबी और पोकलेन मशीनों से खंतियां खोदी जा रही हैं। नालानुमा खंती खोदने का मकसद माफिया को जंगल में प्रवेश से रोकना है। जंगल के अतिक्रमण मुक्त होते ही खंतियों और गड्ढों में सीड बॉल डाले जाएंगे।
यहाँ पौधारोपण क्यों नहीं?
प्रदेश सरकार पौधारोपण के लिए बड़े प्लान बना रही है। इस दस हजार एकड़ पर लाखों सागौन के पौधे पूरी ताकत से क्यों नहीं लगाए जाते? पेड़ काटे हैं, उस एरिया को संवेदनशील बनाकर सागौन लगाया जाना चाहिए। यदि ईमानदारी से पर्यावरण के प्रति सरकार सोचती है, तो जनप्रतिनिधि ऐसी प्लानिंग क्यों नहीं बनाते?