विश्व प्रसिद्ध मां बगलामुखी मंदिर पर कल से शुरू होगी तंत्र साधना
नलखेड़ा: विश्व प्रसिद्ध मां बगलामुखी दरबार में शनिवार से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ होगी. नवरात्रि के दिनों में देवी मां के नव स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है. गुप्त नवरात्रि नौ दिन नहीं बल्कि इस बार दस दिनों की है. माता रानी के भक्त गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के विभित्र स्वरूपों की पूजा अर्चना करते हैं. नगर में स्थित विश्व प्रसिद्ध तांत्रिक स्थली पीतांबरा शक्तिपीठ मां बगलामुखी का मंदिर शक्ति एवं शक्तिमान के सम्मिलित प्रभाव से यहां पर की जाने वाली साधना आराधना अनंत गुना फल प्राप्त होता है.
धार्मिक पर्व को लेकर मंदिर में तैयारियां पूर्ण कर ली जा रही है. मंदिर पर आकर्षक बिजली सज्जा की जा रही है. गुप्त नवरात्र के दौरान मां के दरबार में श्रद्धा, आस्था और विश्वास का सैलाब उमड़ पड़ेगा. मंत्रोच्चार की मंगल ध्वनियों के बीच समूचे मंदिर परिसर में कई साधक उपासक पूरे समय हवन अनुष्ठान, जप तप करते हुए माता की भक्ति में लीन दिखाई देंगे. गुप्त नवरात्रि में कई देश प्रदेश से भक्त आकर मत्था टेकेंगे. शक्ति की भक्ति के पर्व गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन शनि वार को मंदिर पर मां बगलामुखी की सुबह एवं संध्याकालीन आरती में कई भक्त अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे.पूरे समय माता मंदिर पर मां पीतांबरा के दर्शन, पूजन को भक्तों की आस्था का मेला लगा रहेगा. मंदिर क्षेत्र में नौ दिन मंत्रोच्चार, जप, तप, हवन अनुष्ठान का सिलसिला चलता रहेगा.गुप्त नवरात्रि में मंत्री व राजनेताओं के हवन अनुष्ठान भी होंगे.
यह है मान्यता
उज्जैन के बाद नलखेड़ा स्थित मां बगलामुखी मंदिर का नाम आता है. मान्यता यह भी है कि माता बगलामुखी की मूर्ति स्वयंभू है. मंदिर परिसर में 16 खंभों वाला सभामंडप है जो 252 साल पहले संवत 1816 में पंडित ईबुजी दक्षिणी कारीगर श्री तुलाराम ने बनवाया था. इसी सभा मंडप मे मां की और मुख करता एक कछुआ है मंदिर बताया जाता है कि ईस्वी सन् 1816 में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया. इस शक्तिपीठ की स्थापना महाभारतकाल में हुई थी.
तांत्रिकों का जमावड़ा रहता है
दोनों नवरात्र में तंत्र साधना के लिए तांत्रिकों का जमावड़ा भी यहां लगा रहता है. नवरात्रि में तंत्र साधना के लिए आते हैं तांत्रिक. भगवान कृष्ण के कहने पर ही कौरवों पर विजय प्राप्त करने के लिए पांडवों ने यहां मां बगलामुखी की आराधना की थी. मां की साधना-आराधना से अनंत गुना फल की प्राप्ति होती है. जब कभी शत्रु का भय हो तो बगलामुखी की साधना-आराधना आराधक को फलदायी रहती है. वहीं मां की आराधना से शत्रु का स्तंभन भी होता है. साथ ही दोनों नवरात्र में तंत्र साधना के लिए तांत्रिकों का जमावड़ा भी यहां लगा रहता है. मंदिर में त्रिशक्ति मां विराजित है. मध्य में मां बगलामुखी, दाएं मां लक्ष्मी तथा बाएं मां सरस्वती हैं. मंदिर में तंत्र साधना के साथ यहां कई तरह के यज्ञ, हवन और ऐसे अनुष्ठान होते हैं, जो आम मंदिरों में नहीं होते. यहां शत्रु के नाश, चुनाव में जीत और कोर्ट केस के निपटारे के लिए विशेष पूजन होता है.
मां बगलामुखी के तीन ऐतिहासिक मंदिर
भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं, जो दतिया, कांगड़ा हिमाचल एवं नलखेड़ा जिला आगर मालवा में हैं. तीनों का अपना अलग-अलग महत्व है. मां भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे खास है. मप्र में तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का एकमात्र यह मंदिर आगर जिले की तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है. मंदिर में कई देवी-देवताओं का वास है. अहाते में स्थित काल भैरव की चमत्कारी मूर्ति स्थापित है, जो उज्जैन स्थित काल भैरव के समान मद्यपान करते हैं. मंदिर के अहाते में ही वीर हनुमान, राधाकृष्ण व महाकाल मंदिर भी स्थित है. सिद्धपीठ मां बगलामुखी नलखेड़ा इतिहास के झरोखे में दीप स्तंभ उज्जैन स्थित मां हरसिद्धि मूर्ति के सम्मुख निर्मित है. यहां कई फीट ऊंचा दीप स्तंभ बना हुआ है, जो विशेष अवसरों पर जगमगाता है.
तांत्रिक विधि से करते हैं माता की विशेष साधना
माता को पीले रंग से प्रसन्न किया जाता है. माता पीले रंग के वस्त्र धारण करती हैं. इस कारण उन्हें पीतांबरा भी कहा जाता है. मां भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है. शास्त्र के अनुसार इस देवी की साधना-आराधना से शत्रुओं का स्तंभन हो जाता है. यह साधक को भोग और मोक्ष दोनों ही प्रदान करती है. माता बगलामुखी का पूजन यूं तो आम लोग भी करते हैं, लेकिन माता की विशेष साधना तांत्रिक विधि से होती है. इसके लिए नियमों में रहकर पूजन किया जाना जरूरी है. आम भक्त ही नहीं, यहां न्यायधीश, राजनेता, फिल्म अभिनेता-अभिनेत्री जैसे विशिष्ट भक्त भी आते हैं, जो अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए विशेष हवन-अनुष्ठान यहां करते हैं.
कई फीट ऊंचा दीप स्तंभ
मंदिर में कई देवी.देवताओं का वास है. अहाते में स्थित काल भैरव की चमत्कारी मूर्ति स्थापित है, जो उज्जैन स्थित काल भैरव के समान मद्यपान करते हैं. मंदिर के अहाते में ही वीर हनुमान, राधाकृष्ण व महाकाल मंदिर भी स्थित है. सिद्धपीठ मां बगलामुखी नलखेड़ा इतिहास के झरोखे में दीप स्तंभ उज्जैन स्थित मां हरसिद्धि मूर्ति के सम्मुख निर्मित है. यहां कई फीट ऊंचा दीप स्तंभ बना हुआ हैए जो विशेष अवसरों पर जगमगाता है.