चक दे इंडिया, ‘खास’ जीत लंबे अरसे तक याद रखी जायेगी

बारबाडोस 30 जून (वार्ता) भारत को आईसीसी टी20 विश्वकप 2024 की ट्राफी कई मायनो में लंबे अरसे तक याद रहेगी।

बारबाडोस के मैदान पर भारतीय समयानुसार शनिवार रात रोहित शर्मा की अगुवाई वाली टीम ने यह जीत दक्षिण अफ्रीकी शेरों से जबड़े से छीनी थी। सही मायनो में देखा जाये तो इस जीत में टीम के हर सदस्य का समर्पण,एकजुटता,संयम और वर्ल्ड कप जीतने का जुनून शामिल था।

वर्ष 2007 में रुपहले पर्दे पर रिलीज हिन्दी फिल्म चक दे इंडिया एक ऐसे कोच की कहानी थी जिसको वर्ष 1982 के एशियाई खेलो में भारतीय हाकी टीम की हार का विलेन करार दिया गया था और उसने खामोश रहते हुये अपने जज्बात का इजहार भारत की महिला हॉकी टीम को विश्वकप दिला कर किया था। कुछ ऐसा ही नजारा कल बारबाडोस के मैदान पर भी देखने को मिला। यहां कोच की भूमिका में भारत के मिस्टर वॉल यानी राहुल द्रविड़ थे जिनके नेतृत्व में भारतीय टीम 2007 के एक दिवसीय विश्वकप के लीग चरण में ही बाहर हो गयी थी। द्रविड़ का खामोश तूफान कल भारत की जीत के रुप में बाहर आया और हमेशा शांत रहने वाले द्रविड़ भी बीच मैदान में चिंघाडते नजर आये मानो बरसों का गुबार बादल बन कर फट पड़ा हो। द्रविड़,कप्तान राेहित,विराट कोहली,मो सिराज हर किसी की आंखे आसुंओं से भीगी हुयी थी। इसके साथ दुनिया के करोड़ों भारतीय प्रशंसक भी पटाखे फोड़ कर अपनी खुशी का इजहार कर रहे थे।

विश्चकप के फाइनल ने हर क्षेत्र में भारतीयों का कड़ा इम्तिहान लिया। पूरी दुनिया ने भारत की बल्लेबाजी की गहराई देखी जब पावर प्ले में अपने तीन विकेट गंवाने वाली भारतीय टीम ने विराट कोहली की अगुवाई में दक्षिण अफ्रीका के लिये 177 रन का लक्ष्य निर्धारित किया। गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण में भी भारत का प्रदर्शन लाजवाब था। एक समय ऐसा भी आया जब हाइनेरिक क्लासेन और डेविड मिलर की जोड़ी को मैच जिताने के लिये सिर्फ पांच के रन औसत से रन जुटाने थे। ऐसे समय में कप्तान रोहित शर्मा ने गेंद हार्दिक पांड्या को थमाई जिन्होने पहले क्लासेन और बाद में मिलर को आउट कर टीम की जीत का मार्ग प्रशस्त कर दिया। यहां भारतीयों की फील्डिंग का मुजाहिरा देखने को मिला जब मिलर के निश्चित छक्के को स्काई यानी सूर्य कुमार यादव ने बेहतरीन कैच में तब्दील कर दिया।

जिस टीम ने टी20 विश्वकप के पूरे सफर में अजेय रहते हुये विश्वकप अपनी झोली में डाला, उसके कोच राहुल द्रविड़ ही थे जिनकी और पूरे कोचिंग स्टाफ की मेहनत रंग लायी। हर मैच के बाद ड्रेसिंग रुम में हर खिलाड़ी की परफार्मेंस का आकलन किया गया और हंसी मजाक के बीच मैडल पहना कर उसकी हौसलाफजाई की गयी,अन्य खिलाड़ियों को और बेहतर प्रदर्शन के लिये प्रेरित किया गया। ड्रेसिंग रूम के माहौल को हल्का और खुशमिजाज रखने की जिम्मेदारी बैटिंग कोच विक्रम राठौर और अन्य की थी।

कोच के तौर पर राहुल द्रविड़ के लिये यह विश्वकप आखिरी था और उन्हे भारतीय टीम ने शानदार विदाई दी। मैच के बाद रन मशीन विराट कोहली ने विश्वकप की जीत का श्रेय हर सदस्य को देते हुये टी20 करियर से सन्यास की घोषणा की जबकि बाद में आंखों में खुशी के आंसू लिये कप्तान राेहित शर्मा ने टी20 करियर को अलविदा कहने का ऐलान किया। इन तीन दिग्गजों का विश्वकप की ट्राफी के साथ एक साथ विदा होना पूरे देश के लिये एक भावुक क्षण था।

भारत ने इस विश्वकप में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों को आसानी से परास्त किया फिर वो चाहे आस्ट्रेलिया,इंग्लैंड,पाकिस्तान और फाइनल में दक्षिण अफ्रीका ही क्यों न हों। यहां रोहित की टीम ने अफगानिस्तान और अमेरिका जैसी टीमों को भी हल्के में लेनी की कोई भूल नहीं की जिसका उदाहरण है कि भारतीय कप्तान ने टीम में प्रयोग की हिमाकत नहीं की जब मैच अमेरिका की अबूझ पिचों पर था जहां स्पिनरों के लिये कुछ खास करने को नहीं था वहां जसप्रीत बुमराह के साथ मोहम्मद सिराज को आगे रखा गया और वेस्टइंडीज आगमन के साथ कुलदीप यादव को तरजीह दी गयी जिसका पूरा फायदा टीम को मिला।

भारतीय खेमे ने खेल के हर विभाग में कड़ी मेहनत की। बैटिंग और बालिंग के अलावा क्षेत्ररक्षण भी खास ध्यान दिया गया। हर वाइड और नो बॉल पर पैनी निगाह रखी गयी वहीं मिस फील्ड पर भी मुख्य कोच राहुल द्रविड़ की कड़ी नजर रही। मैच की जीत के बावजूद होटल रवाना होने से पहले हर छोटी बड़ी गलती को दूर करने की नसीहत दी गयी।

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