मेरी पीड़ा है कि मेरा शहर ग्रीनरी में पीछेः महापौर

पानी, वृक्ष और सोलर को लेकर संगोष्ठी
राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने रखी अपनी बात
इंदौर:देश दुनिया में लगातार बढ़ते तापमान और क्लाइमेट चेंज को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा होती आई है लेकिन इस वर्ष की गर्मी से हलाकान होने के बाद इंदौर को भी इसकी चिंता सताने लगी है. इसी क्रम में आज पानी, वृक्ष और सोलर को लेकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव अध्यक्षता में नर्सीमूँजी यूनिवर्सिटी के सभागार में राष्ट्रीय वक्ताओं के साथ संगोष्ठी आयोजित की गई. संगोष्ठी में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों, एनजीओ के सदस्यों. शिक्षकों और प्रबुद्ध नागरिकों की उपस्थिति में विषय विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी.
कार्यक्रम में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि एक ऐसी संगोष्ठि के लिए हम एकत्रित हुए है जो सिर्फ़ चिंतन के लिए नहीं बल्कि चिंतन को एग्जीक्यूट करने वाला सेमिनार है. हम सभी चीज़ में आगे है लेकिन ग्रीन कवरेज में हम बहुत पीछे है. मेरी पीड़ा है की मेरा शहर ग्रीनरी में पीछे है। पेड़ एक मात्र रास्ता है जो हीट वेव को रोक सकता है. पेड़ पानी को संरक्षित करने का काम भी करेंगे, इंदौर बागों का शहर था लेकिन अब बाग नहीं बचे. वाटरमेन ऑफ इंडिया डॉ राजेंद्र सिंह ने कहा कि यह शहर सब में नंबर वन है लेकिन एक और चीज़ है जिसने इंदौर नंबर वन है वो है कि बैठ कर चर्चा करने का.

ये बहुत अच्छी बात है. इंदौर को हेल्दी बनाना है इंदौर में हरियाली लाने से पहले पानी के लिए सोचना होगा. इंदौर को अपनी धरती की मिट्टी का स्वस्थ ठीक करने के लिए पानी को रोकना पड़ेगा. नर्मदा पर आश्रित कम रहना होगा, हम कब तक पानी लेंगे. इंदौर के युवाओं को सोचना होगा कि उनकी धरती, प्रकाश, हरियाली को अपने जीवन को बेहतर और लंबा चलाने के लिए कैसे बेहतर कर सकते है. जब आपका इंटेंशन ठीक हो तो सब संभव हो जाता है, शुद्ध विचार को जनता आंदोलन बना देती है और इंदौर यह कर सकता है. कार्यक्रम में डायरेक्टर एनएसआईएसएम इंदौर अंशुमन जसवाल, विश्वास व्यास, वरुण मित्तल व बडी संख्या में गणमान्य नागरिकगण उपस्थित थे.
जनसंख्या के आधार पर पेड़ अनिवार्य करें
पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल ने कहा कि मैंने जो भी काम किया उसको परिपूर्ण किया है. इसकी प्रेरणा मुझे इंदौर से मिलती है. पिपलांतरी जिसके लिये में काम करता हूँ ,उससे ज़्यादा में इंदौर को जानता हूँ चाहे कुछ भी हो जाए काम ऐसा करो की दुनिया आपके पीछे आ जाए. हमें इंदौर में हरियाली को बढ़ाने के लिए बीज रोपण ज़्यादा उपयोगी होंगे. परिवार की जनसंख्या के आधार पर पेड़ लगाना अनिवार्य करना होगा.
कार्बन को छोड़ सोलर एनर्जी पर जाना होगा
सोलरमेन चेतन सिंह सोलंकी ने कहा कि क्लाइमेट चेंज की मुख्य वजह एनर्जी का अतिरिक्त प्रयोग करना है एटमॉसफ़ियर को हमने गर्बेज बैग बना दिया है. हमें कार्बन एनर्जी छोड़ कर सोलर एनर्जी पर जाना होगा. दिखने वाली गंदगी को साफ़ करने में इंदौर भारत में नंबर वन है. अब न दिखने वाली गंदगी को साफ़ कर इंदौर को अंतरराष्ट्रीय स्तर यूनाइटेड नेशन में आना है.
पुरानी तकनीक से करना होगा पौधारोपण
ट्री मेन ऑफ़ इंडिया विष्णु लांबा ने कहा कि पाँच हज़ार साल पुरानी तकनीक से पौधा रोपण करना होगा. इसके तहत स्थानीय प्रजातीय पौधों को अलग अलग समूह में लगाना चाहिए. इसे ग्रीन लंग्स कहते है. साथ ही ड्रिप एरिगेशन माध्यम से इन्हें जीवित रख सकते है. क्यों न इंदौर में एक परमानेंट ग्रीन आर्मी बनाई जा सकती है जो इस संकल्प को मज़बूती से पूरा कर सकें.

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