सरकार को कर्मचारियों की समस्या पर देना होगा ध्यान
ग्वालियर :प्रदेश और भारत सरकार द्वारा विगत वर्षों में संत्री से लेकर मंत्री तक, मजदूर से लेकर उद्योगपति तक, सब को बहुत कुछ दिया है लेकिन जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के कर्मचारियों की पेंशन की ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है । वर्तमान महंगाई के दौर में रिटायर्ड सहकारी बैंक के कर्मचारी अपनी उदरपूर्ति और घर खर्च के लिए परेशान हैं ।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के कर्मचारियों का दर्द है कि उन्हें निजी फैक्ट्री के कर्मचारियों के साथ जोड़ दिया गया है ,जबकि निजी फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों द्वारा केवल फैक्ट्री मालिक के हित में ही काम किया गया। राज्य एवं केंद्र सरकार को स्मरण रहना चाहिए कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के कर्मचारियों द्वारा सदेव ग्रामीण क्षेत्र के किसानों, उपभोक्ताओं के हित में वर्षा, सर्दी, गर्मी में सतत जीवन पर्यंत सेवा करते हुए राज्य शासन तथा केंद्र शासन के विभिन्न विभागों की सेवा की गई है ।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के कर्मचारियों को ईपीएफओ स्कीम के ही अंतर्गत या अन्य विकल्प के अंतर्गत निजी फैक्ट्री के कर्मचारियों से पृथक किया जाए, पेंशन की ओर सकारात्मक निर्णय लिया जाए।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के पेंशनरस् का कहना है कि कहीं-कहीं तो उन्हें 1000 ही पेंशन मिल रही है, कहीं-कहीं 2000 तक..! यहबहुत बड़ी विसंगति है। वर्तमान में महंगाई का दौरा अपने यौवन पर है ऐसी स्थिति में रिटायर्ड कर्मचारी बिजली बिल, हाउस टैक्स, प्रकाश टैक्स, सफाई कर आदि की भी पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं ।
इलाज और जीवन यापन कैसे संभव हो.?
केंद्रीय सहकारी बैंक के रिटायर्ड कर्मचारियों को इस बात का भी मलाल है कि उन्हें आयुष्मान कार्ड की भी पात्रता नहीं है जो 5 लाख तक के इलाज की सरकार द्वारा घोषणा की गई है, उसे तत्काल लागू की जाए। केंद्रीय सहकारी बैंकों के रिटायर्ड कर्मचारियों ने अपनी दयनीय स्थिति को देखते हुए निवेदन के साथ मांग पीएमओ और केंद्रीय सहकारिता मंत्री से की है।