राज्य, समवर्ती क्षेत्र के सुधारों के लिए जीएसटी परिषद जैसा मंच हो: सीआईआई

नयी दिल्ली, (वार्ता) भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने राज्यों से जुड़े विषयों में नीतिगत सुधार के लिए जीएसटी परिषद जैसा मंच बनाने का सरकार को सुझाव दिया है और संगठन का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर तथा मजबूत हो कर आठ प्रतिशत के स्तर पर पहुंच जाएगी।

सीआईआई ने भारतीय अर्थव्यवस्था की शक्ति और गति बढ़ाने के लिए दस सूत्री एजेंडा लागू करने की सिफारिश की है जिसमें राज्य एवं समवर्ती सूची के क्षेत्रों में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए जीएसटी परिषद जैसी कोई व्यवस्था शुरू किए जाने की सिफारिश है।

सीआईआई के अध्यक्ष संजीव पूरी ने सीआईआई के नए अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद संवाददाताओं के साथ पहली मुलाकात में कहा कि चालू वित्त वर्ष लगातार चौथा वर्ष होने जा रहा है जबकि कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सात या सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने जा रही है।

गौरतलब है कि मई के अंत में जारी किए गए अस्थायी अनुमानों में अप्रैल-मार्च 2023-24 में जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही जो कि फरवी में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी अनुमन से भी ऊंची निकली।
सांख्यिकी कार्यालय का फरवरी का अनुमान 7.6 प्रतिशत था।

श्री पुरी ने कहा कि अर्थव्यवस्था के अनुमान बहुत कुछ लंबित आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने, वैश्विक निर्यात बजार की स्थिति, निवेश तथा उपभोग मांग के दोहरे इंजन की चाल और मानूसन की स्थिति जैसे कारकों पर निर्भर करेंगे।

सीआईआई अध्यक्ष ने कहा कि अगले चरण के सुधार मुख्यत: राज्य और समवर्ती सूची से संबंधित है जिनको आगे बढ़ने के लिए जीएसटी परिषद जैसा कोई मंच इजाद किया जा सकता है।

उल्लेखीय है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में केंद्र और राज्य स्तरीय कई अप्रत्यक्ष करों को मिला कर पूरे देश में एक समान कर प्रणाली लागू कर दी गयी है जिससे देश वस्तुओं और सेवाओं के एक साझा बाजार के रूप में उभरा है।

जीएसटी पर सर्वोच्च निर्णायक निकाय जीएसटी परिषद है जिसका अध्यक्ष केंद्र का वित्त मंत्री होता है और राज्यों के वित्त मंत्री इसके सदस्य होते हैं।

जीएसटी परिषद में अब तक करीब करीब सारे निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए हैं।

उन्होंने जिन 10 सूत्रीय कार्ययोजना की सिफारिश की है उनमें केंद्र के पूंजीगत व्यवय को वर्ष 2023-24 में हुए 9.5 लाख करोड़ रुपये के व्यय के संशोधित अनुमान की तुलना में 25 प्रतिशत बढ़ाने की सिफारिश की है।

सीआईआई ने कहा है कि केंद्र को आरबीआई से मिले दो लाख 10 हजार करोड़ रुपये के लाभांश से पूंजीगत व्यवय को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

सीआईआई द्वारा दिए गए सुझावों में भारत और भारतीय उद्योग क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ाने के लिए मानव-पूंजी विकास को और अधिक प्राथमिकता दिए जाने की सिफारिश भी है।

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