माझी ने ली ओडिशा के मुख्यमंत्री पद की शपथ

भुवनेश्वर, 12 जून (वार्ता) आदिवासी नेता मोहन चरण माझी ने बुधवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मोदी मंत्रिपरिषद के कई सदस्यों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित नौ राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित रहे। शपथ ग्रहण समारोह का आयोजित भुवनेश्वर के प्रसिद्ध जनता मैदान में हुआ। इसके साथ ही श्री माझी ओडिशा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले भाजपा के पहले नेता बन गये।

राज्यपाल रघुबर दास ने श्री माझी के साथ ही दो उपमुख्यमंत्रियों, आठ कैबिनेट मंत्रियों और पांच राज्य मंत्रियों (स्वतंत्र प्रभार) को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।

भाजपा के कई केंद्रीय नेताओं की मौजूदगी में शपथ ग्रहण समारोह को देखने के लिए राज्य भर से एक लाख से अधिक लोग जनता मैदान में एकत्र हुए। ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं बीजू जनता दल (बीजद) अध्यक्ष नवीन पटनायक भी शपथ ग्रहण समारोह मौजूद रहे। शपथ लेने वाले दो उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव और प्रभाती परिदा हैं।

शपथ लेने वाले कैबिनेट मंत्रियों में सुरेश पुजारी, रबी नारायण नायक, नित्यानंद गोंड, कृष्ण चंद्र पात्रा, पृथ्वीराज हरिचंदन, डॉ. मुकेश महालिंग, विभूति भूषण जेना, डॉ. कृष्ण चंद्र महापात्र शामिल हैं। वहीं, पांच राज्य मंत्रियों (स्वतंत्र) में सर्वश्री गणेश राम सिंगखुंटिया, सूर्यवंशी सूरज, प्रदीप बाला सामंत, गोकुलानंद मल्लिक और संपद चंद्र स्वैन शामिल हैं। भाजपा ने 2024 के विधानसभा चुनाव में कुल 147 विधानसभा सीटों में से 78 पर जीत हासिल की और श्री पटनायक के नेतृत्व वाली बीजद सरकार के 24 साल के शासन को उखाड़ फेंका। बाद में तीन निर्दलीय विधायक भी भाजपा में शामिल हो गए, जिससे विधानसभा में पार्टी की कुल ताकत 81 हो गई है। ओडिशा के राजनीतिक इतिहास में यह पहली भाजपा सरकार है। गौरतलब है कि 2000 और 2004 में लगातार दो बार बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार बनी थी।

बीजद ने हालांकि, 2009 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया और तब से बीजद पूर्ण बहुमत के साथ 2009, 2014 और 2019 के चुनाव जीतकर राज्य पर शासन कर रही है। श्री माझी राज्य में तीसरे आदिवासी मुख्यमंत्री हैं। इससे पहले, 1989 और 1999 में कांग्रेस के हेमानंद बिस्वाल और गिरिधर गोमांगो ने मुख्यमंत्री के रूप में संक्षिप्त अवधि के लिए राज्य पर शासन किया था। उस समय कांग्रेस आलाकमान की ओर से तत्कालीन मुख्यमंत्री जे बी पटनायक को तीन मौकों पर ( एक बार 1989 में और दो बार 1999-2000 के दौरान) पद से हटने के लिए कहा गया था।

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