नयी दिल्ली, (वार्ता) तीसरी राष्ट्रीय कराटे चैंपियनशिप का ताल कटोरा स्टेडियम में रंगारंग शुभारम्भ हुआ।
नेशनल कराटे फेडरेशन और फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) द्वारा आयोजित इस चैंपियनशिप में 20 राज्यों के एक हजार से अधिक कराटे खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। चैंपियनशिप में विभिन्न आयु वर्गों में, बालक और बालिका दोनों श्रेणियों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। इसके जरिए कराटे खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने का एक शानदार अवसर भी प्रदान किया जा रहा हैं।
आज यहां इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. राकेश मिश्रा ने कहा, “कराटे केवल एक खेल नहीं है, यह जीवन जीने की एक कला है। यह शारीरिक और मानसिक विकास का एक सशक्त माध्यम है। आज यह जापानी मार्शल आर्ट के रूप में जाना जाता है, लेकिन इसकी जड़ें भारत की प्राचीन मार्शल आर्ट ‘कलारीपयट्टू’ में हैं। हमें कराटे और अन्य मार्शल आर्ट्स को बढ़ावा देना चाहिए। खिलाड़ियों को अपनी पूरी मेहनत और लगन से प्रदर्शन करना चाहिए और परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए।”
सेंसेई एयाल नीर ने भारतीय खिलाड़ियों की प्रतिभा की सराहना करते हुए कहा, “मैं भारत में कराटे के विकास को देखकर अभिभूत हूं। यहां खिलाड़ियों में अनुशासन और जुनून की अद्भुत झलक है। नेशनल कराटे फेडरेशन और पेफी ने जो प्रयास किए हैं, वे सराहनीय हैं। कराटे का भविष्य भारत में उज्ज्वल है, और मैं यहां बार-बार आना चाहूंगा।”
पेफी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. पीयूष जैन ने कहा, “पेफीI का मुख्य उद्देश्य खेल और शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देना है। हमारा यह प्रयास है कि खेलों को समाज में एक सम्मानजनक स्थान मिले और युवा पीढ़ी खेलों के माध्यम से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बने।”
नेशनल कराटे फेडरेशन के अध्यक्ष मनोज मिश्रा ने कहा, “हमारा उद्देश्य कराटे को न केवल शहरों में, बल्कि देश के हर कोने में लोकप्रिय बनाना है। यह चैंपियनशिप खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकने का अवसर प्रदान करेगी।”