
भोपाल: लंबे समय से बंद शहीद भवन के दरवाजे मंगलवार की शाम जब दर्शकों के लिए खुले, तो मंचित नाटक वीर गोकुला ने अपनी पहली ही प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। मंच पर उतरते ही कलाकारों की ऊर्जा और जीवंत अभिव्यक्ति ने सभागार में गंभीर और भावनात्मक माहौल बना दिया। नाटक के प्रारंभ से ही कलाकारों की गति और संवाद इतने प्रभावी रहे कि दर्शक शुरुआत से अंत तक कथा से जुड़े रहे।
नाटक में सत्रहवीं शताब्दी के उस दौर को उकेरने का प्रयास किया गया। जब औरंगजेब के शासन में ब्रजभूमि के किसानों पर जजिया कर लगाया गया, मंदिरों को तोड़ा गया और आम जनता विशेषकर महिलाओं पर अत्याचार किए गए। मंच पर दिखाए गए इन दृश्यों की प्रस्तुति पार्श्व ध्वनि के साथ इतनी प्रभावी बन गई, कि ब्रजवासियों की पीड़ा और आक्रोश मंच पर सजीव हो उठा। नाटक की प्रस्तुति में स्टेज की सज्जा के लिए एलईडी स्क्रीन का उपयोग किया गया। जिसने मंच के पात्रों की घटनाओं को अत्यंत प्रभावशाली बना दिया। जिसे दर्शकों की आंखे एक टक देखते हुए भावुक हो उठी।
वीर गोकुला नाटक की प्रस्तुति ने यह संदेश दिया कि जब सम्मान और अस्तित्व पर संकट आता है तो किसान हल के साथ हथियार भी उठाने को मजबूर हो जाता है। नाटक में वीर गोकुला की भूमिका में जोगिंदर बोकन ने गोकुला के स्वाभिमान साहस और बलिदान को सशक्त ढंग से प्रस्तुत किया। वहीं कलाकार मानव तिवारी ने नाटक में औरंगजेब का किरदार बखूबी निभाया जो दर्शकों को खूब भाया। मंच पर कुल 15 कलाकारों ने नाटक की कथा को जीवित किया। नाटक का निर्देशन देव फौजदार ने किया है। जिसका आयोजन स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा जनयोद्धा राष्ट्रीय नाट्य समारोह के तहत किया गया। यह कार्यक्रम 21 दिसंबर तक चलने वाला है। जिसमें कल बाबू वीर कुंवर सिंह नाटक की प्रस्तुति दी जाएगी।
