बेंगलूरू, (वार्ता) इंडिया ग्लोबल इन्नोवेशन कनेक्ट (आईजीआईसी) 2024 का तीसरा संस्करण बेंगलूरू में संपन्न हुआ जिसमें वैश्विक और देश के उद्योगपतियों ने सरकार, उद्योग और स्टार्टअप के लिए आने वाले वर्षों में तेज परिवर्तन लाने को लेकर टेक्नोलॉजी, कौशल विकास एवं नवप्रवर्तन को प्रमुख क्षेत्रों के रूप में रेखांकित किया।
इस कार्यक्रम में 400 से अधिक लोग शामिल हुए जिसमें नेताओं ने उद्योग से जुड़े विभिन्न विषयों पर गहन चर्चा की। आईजीआईसी 2024 के दूसरे दिन भारतीय एवं वैश्विक स्टार्टअप के संस्थापकों, वीसी और निवेशकों, कॉरपोरेट और सरकार के प्रमुख लोगों, टेक्नोलॉजी एवं लोक नीति के विशेषज्ञों ने एक साझा मंच के तहत इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, “उद्योग की मांग और उपलब्ध प्रतिभाओं के बीच अंतर को पाटने और भारत में कुशल इंजीनियरों विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और साइबर सिक्युरिटी जैसे क्षेत्रों में अधिक मांग है, इंजीनियरों की संख्या बढ़ाने की तत्काल जरूरत है। इन इंजीनियरिंग कॉलेजों और हमारे आईआईटी में से कई संस्थानों के पाठ्यक्रमों को नए ढांचे में ढालने की जरूरत है जिससे वे आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दे को हल करने के लिए आज की मांग पूरी कर सकें। इस सरकार का अगला पांच साल व्यापक स्तर पर नए रोजगार का सृजन करने के लिए कौशल विकास एवं अप्रेंटिसशिप पर केंद्रित होगा।”
मादजा एंड मादजा स्ट्रैटेजिक एडवाइजरी के अध्यक्ष क्लॉज मादजा ने कहा, “इंडिया ग्लोबल इन्नोवेशन कनेक्ट (आईजीआईसी) 2024 के तीसरे संस्करण का सफल समापन, डिजिटल एवं स्टार्टअप पारितंत्र के भीतर उभरते देशों के बीच वैश्विक गठबंधन को प्रोत्साहित करने में मील का एक बड़ा पत्थर है। पिछले दो दिनों में हमने विभिन्न देशों से विशेषज्ञों को टेक्नोलॉजी के रुख, बायोटेक, डीप टेक, इन्नोवेशन, स्टार्टअप इकोसिस्टम और एआई सहित अन्य विषयों पर विचारों और अंतर्दृष्टि का आदान प्रदान करते देखा है। जबरदस्त प्रतिक्रिया को देखते हुए हमें भरोसा है कि हम आईजीआईसी 2025 के लिए इस गति को बनाए रखेंगे।”
ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी के सैड बिजनेस स्कूल के डीन एवं मैनेजमेंट के प्रोफेसर, एआई पर विशेषज्ञों के कार्यबल ओईसीडी के चेयर सौमित्र दत्ता ने कहा, “भारत में हम वर्तमान में एक भाग्यशाली क्षण में हैं जहां यह देश विभिन्न वर्षों से अनुकूल आर्थिक नीतियों का लाभ उठा रहा है। विद्यार्थियों और युवाओं के बीच हम टेक्नोलॉजी, नवप्रवर्तन और उद्यमशीलता को लेकर एक नया उत्साह देख रहे हैं और उद्यमशीलता को लेकर लोगों में ऊर्जा एवं भूख है। आज भारत का ब्रांड बदला हुआ है और भारत की छवि में उल्लेखनीय बदलाव आया है और अब इसे अपने सॉफ्टवेयर प्रोग्रामरों और प्रतिभावान लोगों के लिए पहचाना जा रहा है।”
फंडामेंटल जर्मनी के जनरल पार्टनर शुभांकर भट्टाचार्य ने कहा, “जब बात जगह लेने या कारोबारी विचार की आती है तो एक ऐसे कारोबार पर विचार करना महत्वपूर्ण हो जाता है जिसमें आगे विस्तार की गुंजाइश हो और साथ ही वह विचार कुछ हटकर होना जरूरी है। एक कारोबार के एक अच्छी पब्लिक कंपनी बनने की संभावना का अच्छा अनुमान लगाने वाले व्यक्ति का यह अनुमान तभी सही साबित होगा जब संस्थापक बहीखाता के साथ बहुत विस्तृत जानकारी रखने की इच्छा रखता हो। हमारे अनुभव से उस कारोबार में निवेश से पहले ही संभावित संस्थापकों के साथ खुलकर बातचीत करना कारोबार की सफलता और स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। यह संकेत देता है कि संस्थापक भी सबसे खराब स्थिति के लिए तैयार हैं।”
इस्रायल नेशनल काउंसिल फॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट के सदस्य और बार-इलान युनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड पैसिग ने कहा, “हम एक ऐसे बिंदु पर हैं जहां हम हर सेकेंड अत्यधिक मात्रा में डेटा का सृजन कर रहे हैं और हम इस डेटा का उपयोग यह समझने के लिए करने का प्रयास कर रहे हैं कि हमारा मस्तिष्क कैसे काम करता है। हम माइंड टेक्नोलॉजी की सदी में कदम रख रहे हैं और मस्तिष्क की गहरी समझ हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे अतीत को समझ कर और भविष्य में अनुमान लगाकर हम हमारे व्यवहार में बदलाव लाने और एक बेहतर भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने के लिए इस जागरूकता को वर्तमान में ला सकते हैं।”