

भोपाल। सामाजिक संवेदनशीलता, सम्मान और समान अवसरों की दिशा में विश्व विकलांगता दिवस एक ठोस कदम उठाता है। प्रत्येक वर्ष 3 दिसंबर को मनाया जाने वाला विश्व विकलांगता दिवस न केवल जागरूकता बढ़ाता है, बल्कि समाज के दिव्यांग और विकलांग लोगों को समानता देता है। प्रदेश में समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत इस वर्ष भी विशेष रूप से दिव्यांग विद्यार्थियों की भागीदारी सुनिश्चित करने और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। ये छोटे–छोटे प्रयास ही समावेशी समाज को जन्म देते हैं। ऐसे में जब सब मिलकर कदम बढ़ाएंगे तभी हर बच्चा अपने सपनों की उड़ान भर सकेगा। विश्व विकलांगता दिवस के इस अवसर पर नवभारत प्रतिनिधि द्वारा समाज के कुछ प्रतिनिधित्व से बात चीत के अंश।
विश्व विकलांगता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि समावेशी शिक्षा केवल नीति नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है। इस दिन को केवल औपचारिकता के रूप में न मनाकर, इसे एक संकल्प दिवस के रूप में मनाना होगा। दिव्यांग विद्यार्थियों की प्रतिभाओं को पहचानने, प्रोत्साहित करने के साथ उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा में पूर्ण अधिकारों के साथ जोड़ना होगा। वास्तव में दिव्यांगता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि समाज के लिए सीखने का अवसर है। हर बच्चा अपनी अनोखी प्रतिभा के साथ विशेष है, और समानता तभी सार्थक होती है जब अवसर सभी के लिए समान हों।

डॉ. मिनी मेहरा, ओएसडी, समग्र शिक्षा अभियान, लोक शिक्षण संचालनालय
अधिक से अधिक समाजसेवी लोगों को इन छात्रों के लिए आगे आकर मदद करने की जरुरत है. समय-समय पर कुछ सांस्कृतिक और शारीरिक गतिविधियां करते रहना चाहिए। जिससे उन्हें अपनी प्रतिभाएं निखारने का अवसर मिले। साथ ही परिवारों में सामान्य बच्चों के साथ विकलांग और दिव्यांग बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. अगर उन्हें समानता के भाव से देखा जायेगा तो उनके मनोबल में वृद्धि होगी और वह जीवन में प्रतिभाओं के साथ नए आयामों को छुएंगे।

कमल सेमानिया, दृष्टिहीन कल्याण संघ, शिवाजी नगर, भोपाल
कई नीतियां हैं जो दिव्यांग और विकलांग बच्चों के लिए सरकार के द्वारा बनाई गई हैं. उनका जमीनी सतह पर काम करना आवश्यक है. जिसमें समाज के हर वर्ग के लोग अपनी जिम्मेदारी क साथ अपने दायित्यों का वहन करेंगे तभी इन नीतियों से सभी को समान अवसर मिल सकेगा। स्कूलों में स्पेशल एजुकेटर्स की भर्ती कर इन बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए विशेष रूप से कार्य करने की आवश्यकता है. सामान्य स्कूल में सामान्य बच्चों के साथ ही इन बच्चों को इनकी जरुरत की सुविधाओं को मुहैया करवाते हुए पढ़ने का अवसर देना होगा। इससे समाज में सामान्य और विकलांग बच्चों की कार्यशैली और प्रतिभा को लेकर बाधाओं की बेड़ियां टूटेंगी और सभी को एक नजरिये से देखा जा सकेगा.
पूनम श्रोति, संस्थापक, उद्दीप सोशल वेलफेयर सोसायटी, भोपाल
