
सागर। दान की गई आंखों का उपयोग कोर्नियल अंधेपन से पीड़ित लोगों की दृष्टि बहाल करने के लिए किया जाता है,दान की गई प्रत्येक जोड़ी आंखों से,दो नेत्र हीन लोगों की दृष्टि और प्रकाश प्राप्त होता है और उनका जीवन निखरता है। ऐसा ही उदाहरण बुंदेलखंड चिकित्सा महाविद्यालय सागर में हुआ है, जहां दो व्यक्तियों के जीवन में रोशनी लौट आई। पहली लाभार्थी महिला है,जिसकी उम्र लगभग 60 वर्ष है, उन्हें एक आंख से बीस साल से दिखाई नहीं देता था और दूसरी आंख की पुतली में सफेदी होने के कारण रोशनी चली गई थी। लाभार्थी द्वारा कुछ महीने पहले बीएमसी के आई बैंक , नेत्र रोग विभाग में ईलाज हेतु संपर्क किया गया था जहां चिकित्सकों द्वारा प्राथमिक जांच उपरांत उनका पुतली बदलवाने हेतु रजिस्ट्रेशन कर लिया।
मीडिया प्रभारी डॉ सौरभ जैन ने बताया कि, बीएमसी के आई बैंक में जैसे ही किसी व्यक्ति के मरणोपरांत कोर्निया दान प्राप्त होता है तो इस स्वस्थ कोर्निया को नेत्र प्रत्यारोपण सर्जरी द्वारा लाभार्थी की पुतली बदली जाती है। उक्त महिला लाभार्थी की भी पुतली बदली गई और उसके जीवन में रोशनी पुनः लौट आई। लाभार्थी महिला आज स्वयं को धन्य महसूस कर रही है। इसी प्रकार दूसरी लाभार्थी भी महिला है, जिनकी उम्र लगभग 50 वर्ष है। उन्हें भी दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता था। महिला ने बताया कि उसे एक आंख से करीब 15 वर्ष से दिखाई नहीं देता था और दूसरी आंख में कुछ महीने पहले पुतली में बाहरी वस्तु के कारण चोट लगी थी, जिससे पुतली खराब हो गई। महिला ने नेत्र रोग विभाग बीएमसी में ईलाज लिया था और चिकित्सकों द्वारा उसका भी नेत्र प्रत्यारोपण हेतु रजिस्ट्रेशन कर लिया गया था। दान से प्राप्त स्वस्थ कोर्निया का नेत्र प्रत्यारोपण द्वारा पुतली बदल दी गई, जिससे लाभार्थी महिला दुनिया के रंग बिरंगे नजारे पुनः देख पा रही है। चिकित्सकों ने बताया कि दोनों लाभार्थी महिलाएं , निर्धन परिवार से, सागर शहर के आस पास के क्षेत्र से हैं।
डीन डॉ पीएस ठाकुर ने कहा कि बुंदेलखंड चिकित्सा महाविद्यालय सागर के
नेत्र रोग विभाग में नेत्र प्रत्यारोपण की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है। जिनकी आंखों की पुतली किसी बीमारी, चोट या दुर्घटना से खराब हो गई हो, जिससे पुतली खराबी के कारण दिखाई नहीं देता हो,वह व्यक्ति स्वयं नेत्र रोग विभाग आई बैंक में आकर नेत्र प्रत्यारोपण हेतु रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। कोर्नियल प्रत्यारोपण तभी हो सकता है,जब लोग मृत्यु के बाद अपनी कोर्निया दान करना चुनते हैं। मरणोपरांत अपनी आंखें दान करना एक अमर दान है जो दया और करुणा की विरासत छोड़ जाता है,यह एक दयालुता का भी कार्य हैं। मरणोपरांत एक व्यक्ति के कोर्निया दान से नेत्र प्रत्यारोपण सर्जरी द्वारा दो दृष्टि हीन लोगों का जीवन बदल जाता है।
कोर्नियल ट्रांसप्लांट सर्जरी में डॉ प्रवीण खरे, डॉ सारिका चौहान, डॉ अंजलि विरानी पटेल, डॉ रोशी जैन , सीनियर रेसीडेंट डॉ , पीजी डॉ, नर्सिंग स्टाफ मौजूद रहे।
