गुरूद्वारा का पूरा परिसर गुरबाणी के मधुर स्वर से गूंज उठा

सिंगरौली। हिंद की चादर श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस पर गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, सिंगरौली में श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रात:काल से ही भारी संख्या में संगत गुरुद्वारा पहुंची और पूरा परिसर गुरबाणी के मधुर स्वर से गूंज उठा।

वाराणसी से आये प्रसिद्ध रागी ज्ञानी भाई नरेंद्र सिंह ने जय जय कर करे सब कोई तथा सीस दिया पर सिरार न दिया, जैसे शब्दों का भावपूर्ण कीर्तन कर संगत को निहाल किया। उनके कीर्तन ने गुरु साहिब के अमिट त्याग, साहस और मानवता के कल्याण के लिए दिए गए बलिदान को हृदयस्पर्शी ढंग से स्मरण कराया। गुरु तेग बहादुर साहिब जी, सिखों के नवें गुरु थे, जिनका जन्म 1 अप्रैल 1621 को गुरु हरगोबिंद साहिब जी के घर हुआ। अत्यंत कम आयु में ही आपने मेहराबो की लड़ाई में असाधारण शौर्य दिखाया, जिसके बाद आपको तेग बहादुर की उपाधि मिली। आपके उपदेशों का केंद्र निडरता, त्याग, सत्य, मन की शांति और मानवता था। उन्होंने देश-भर में गुरमत प्रचार करते हुए गरीबों, पीड़ि़तों और असहायों की सेवा की। 1675 में कश्मीरी पंडितों और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए दिल्ली के चांदनी चौक में आपने अपना शीश बलिदान कर दिया, जो विश्व इतिहास में अद्वितीय है। गुरु साहिब ने कहा था धर्म की रक्षा के लिए यदि शीश देना पड़े तो यह सबसे बड़ा सौभाग्य है। समागम के दौरान तेजिंदर सिंह ने गुरु तेग बहादुर साहिब जी की जीवनी, उनके त्याग, तप और सिद्धांतों पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गुरु साहिब का बलिदान सम्पूर्ण विश्व के लिए निडरता, धर्म की रक्षा और मानवता के सच्चे स्वरूप का प्रेरणास्रोत है। समिति के संरक्षक हरचरण सिंह भाटिया, प्रधान तरसेम सिंह तथा खजांची तेजिंदर सिंह सहित बड़ी संख्या में समूह संगत गुरुद्वारा में मौजूद रही।

Next Post

बाइक से टकराई नीलगाय, मासूम की मौत

Tue Nov 25 , 2025
उज्जैन। नीलगाय से एक फिर बड़ा हादसा हो गया। बाइक के सामने आने के चलते 7 साल के मासूम की मौत हो गई, पिता और नानी घायल हो गये। मासूम का परिवार गमी में शामिल होने के बाद वापस घर लौट रहा था। महिदपुर रोड के ग्राम कसारी में रहने […]

You May Like