मजबूत संगठन और जबरदस्त मतदान केंद्र प्रबंधन से एमपी में क्लीन स्वीप

जब तक कांग्रेस प्रदेश में अपना संगठन मजबूत नहीं करेगी तब तक उसकी वापसी की संभावना नहीं

मिलिंद मुजुमदार

इंदौर : मध्य प्रदेश में भाजपा ने सभी 29 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है। 1951 में भारतीय जनसंघ और 1980 में भाजपा का गठन हुआ। भाजपा और जनसंघ के इतिहास में पहली बार मध्य प्रदेश में उसे शत प्रतिशत सफलता मिली है। पिछली बार भाजपा ने प्रदेश की 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि छिंदवाड़ा की सीट पर कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ जीते थे। इस बार छिंदवाड़ा में भी भाजपा ने अच्छे अंतर से जीत दर्ज की है। प्रदेश भाजपा की ऐतिहासिक जीत में उसका बेहद मजबूत संगठन और जबरदस्त मतदान केंद्र प्रबंधन का हाथ है।

संगठन के मामले में कांग्रेस भाजपा के समक्ष कहीं नहीं ठहरती। मध्य प्रदेश में संघ परिवार के संगठनों का भी मजबूत आधार है। इसका भी लाभ पार्टी को मिलता है। खासतौर पर दलित और आदिवासी क्षेत्र में जिस तरह से संघ की सेवा प्रकल्प चलते हैं, उसका भी लाभ भाजपा हमेशा उठाती रही है। 2024 के चुनाव में भी भाजपा को संघ परिवार के संगठनों की सक्रियता का लाभ मिला है। नागपुर की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मतदान बढ़ाओ अभियान अपने हाथ में लिया था। मध्य प्रदेश की जबरदस्त जीत से यह स्पष्ट है कि भाजपा का मतदान केंद्र प्रबंधन बेहद मजबूत रहा है।

इसके लिए विधानसभा चुनाव के पूर्व ही प्रयास प्रारंभ कर दिए गए थे। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले वर्ष अगस्त से मतदान केंद्र प्रबंधन के संबंध में प्रदेश के भाजपा नेताओं की बैठकें प्रारंभ की थी। इसका लाभ 2023 के विधानसभा चुनाव में मिला और उसके बाद लोकसभा चुनाव में भी भाजपा अपने मतदान केंद्र प्रबंधन और मजबूत संगठन के कारण शत प्रतिशत सफलता अर्जित कर सकी। भाजपा की सफलता से प्रदेश के सियासी समीकरण बदलेंगे। खास तौर पर कांग्रेस में नई पीढ़ी को आगे आने का मौका मिलेगा। राजगढ़ से दिग्विजय सिंह और छिंदवाड़ा से नकुलनाथ की हार ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि प्रदेश कांग्रेस में लगातार पीढ़ी परिवर्तन होगा। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ जैसे नेताओं की एक तरह से चुनावी राजनीति से विदाई हो गई है। दिग्विजय सिंह की 2028 तक राज्यसभा की सदस्यता रहने वाली है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को अब सभी नेताओं के साथ मिलकर कांग्रेस के संगठन को मजबूत करना होगा ।

मुख्यमंत्री मोहन यादव पर राष्ट्रीय नेतृत्व का विश्वास बढ़ेगा

प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने आपसी तालमेल के साथ जिस तरह से प्रदेश में काम किया उसका लाभ दोनों को मिलेगा। विष्णु दत्त शर्मा के प्रदेश अध्यक्ष पद का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। इसलिए यह तय है कि उन्हें या तो केंद्रीय मंत्री पद या फिर राष्ट्रीय संगठन में महासचिव का पद मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को प्रदेश मंत्रिमंडल में फ्री हैंड मिलेगा। मुख्यमंत्री को आलाकमान का संरक्षण और पूरा समर्थन मिलेगा। इसी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रदेश की राजनीति से एक तरह से औपचारिक विदाई हो जाएगी। भारी अंतर के साथ में विदिशा से जीत चुके हैं। खुद प्रधानमंत्री ने संकेत दिया था कि उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया जाएगा। इसलिए शिवराज सिंह चौहान राष्ट्रीय राजनीति में अपनी नई भूमिका में नजर आने वाले हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के मंत्रिमंडल में वापसी भी एक तरह से लगभग निश्चित जैसी है। उन्होंने अच्छे अंतर के साथ अपनी सीट को जीता है। कुल मिलाकर मध्य भाजपा के राजनीति में भी आने वाले दिनों में बदलाव देखने को मिलेंगे।

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