संस्कृत भाषा से जीवन शक्ति प्राप्त करती हैं कई भाषाएं – शंकराचार्य

नयी दिल्ली, 23 नवंबर (वार्ता) शृंगेरी मठ के शंकाराचार्य श्री विधूशेखर भारती ने संस्कृत के प्रति गलत धारणाओं का खंडन करते हुए कहा है कि संस्कृत वह स्रोत है, जिससे असंख्य भाषाएं जीवन शक्ति प्राप्त करती है।

शंकराचार्य ने तीनों राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को आयोजित शास्त्रार्थ के दौरान यह बात कही। यह आयोजन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नयी दिल्ली तथा नेशनल संस्कृत यूनिवर्सिटी, तिरुपति के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।

शंकराचार्य ने कहा कि वे लोग मूर्ख हैं जो कहते हैं कि संस्कृत मृत भाषा है। उन्होंने कहा कि लाखों श्लोक, भव्य वैज्ञानिक साहित्य और अखंड परंपरा से समृद्ध भाषा कभी मृत नहीं हो सकती।

उन्होंने कहा कि भारत की अधिकांश भाषाएं संस्कृत से ही पोषित होती हैं। यदि उनसे संस्कृत-निष्ठ शब्दों को हटा दिया जाए तो वे भाषाएं ही लुप्तप्राय हो जाएंगी। संस्कृत सभी भाषाओं की प्राण-कोशिका है।

कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक, तथा नेशनल संस्कृत यूनिवर्सिटी तिरुपति के कुलपति प्रो. जी एस आर कृष्णमूर्ति मौजूद थे।

 

 

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