महू:बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जन्मभूमि की संचालक संस्था डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर मेमोरियल सोसायटी की जांच के मामले में हाईकोर्ट इंदौर के आदेश के परिपालन में दो तिहाई बहुमत वाले सदस्यों ने अपना अभ्यावेदन प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है. यह जानकारी देते हुए भंते प्रज्ञाशील उर्फ प्रकाश वानखेड़े ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार बिंदुवार अभ्यावेदन उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव एवं रजिस्ट्रार, फर्म्स एवं सोसायटी, भोपाल के समक्ष दाखिल कर दिया गया है.
वानखेड़े ने बताया कि इस अति संवेदनशील मामले में स्थानीय स्तर पर हुई गंभीर प्रशासनिक लापरवाही, कथित साठगांठ और सुनियोजित षड्यंत्र के चलते उपजा विवाद इतना संगीन है कि एकमात्र रिकॉर्ड जब्ती और निष्पक्ष जांच से ही कोई विधिसम्मत निर्णय हो सकता है. इस अभ्यावेदन के दाखिल होने पर अब सदस्यों को उच्चाधिकारियों के निर्देशन में कार्रवाई होने और न्याय मिलने की उम्मीद जागी है.
सोसायटी के निष्कासित सचिव पर लगाए गंभीर आरोप
वानखेड़े के अनुसार, बीते पांच दशक पुरानी इस अंतरराष्ट्रीय संस्था डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर मेमोरियल सोसायटी द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्मारक भीम जन्मभूमि, देश दुनिया के करोड़ों आंबेडकर अनुयायियों और संविधान में आस्था रखने वाले देशवासियों के लिए पवित्र तीर्थ है. भाजपा सरकार ने इस जन्मभूमि पर भव्य स्मारक बनवाया और महत्वाकांक्षी योजना पंचतीर्थ का पहला तीर्थ भी घोषित किया.
इसके अतिरिक्त जयंती आयोजन के लिए भी सरकार सालाना करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन निजी हित, लालच और अपने स्वार्थ के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निष्कासित सचिव ने संस्था के नियम और उद्देश्यों के विपरीत संचालन, गंभीर आर्थिक अनियमितताएं, कथित भ्रष्ट्राचार और दानराशि का दुरूपयोग किया, जिसका विरोध करने वाले सदस्यों की आवाज दबाने के लिए समिति दस्तावेजों में कूटरचना से अपने भाई, भतीजों, रिश्तेदारों, साथियों को फर्जी सदस्यताएं देकर रात के अंधेरे में राष्ट्रीय स्मारक के ताले तोड़कर अवैध कब्जा कर लिया.
सहायक पंजीयक पर एकपक्षीय कार्रवाई का आरोप
प्रकाश वानखेड़े ने यह आरोप भी लगाया कि स्थानीय प्राधिकारी सहायक पंजीयक बीडी कुबेर ने कथित दबाव प्रभाव में दस्तावेजों का निरीक्षण किए बिना एकपक्षीय कार्रवाई की, जबकि सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी में स्पष्ट है कि समिति का बीते 4 वर्षों का कोई डाटा पंजीयन कार्यालय में जमा ही नहीं कराया गया. उक्त गंभीर कृत्यों से खुद को बचाने और स्मारक पर अवैध कब्जा बनाए रखने के लिए निष्कासित सचिव ने सारा फर्जीवाड़ा किया है. समिति की जांच के लिए सदस्यों, आंबेडकर अनुयायियों, विभिन्न सामाजिक, धार्मिक संगठनों ने भी कई बार कलेक्टर कार्यालय, संभागायुक्त कार्यालय के समक्ष आंदोलन प्रदर्शन कर ज्ञापन और शिकायतें की हैं
