नयी दिल्ली,18 नवंबर (वार्ता) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों के खाली पदों को भरने के लिए अधिकरण की बार एसोसिएशन ने उच्चतम न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया है।
बार एसोसिएशन ने अपनी याचिका में कहा है कि एनजीटी की प्रमुख और क्षेत्रीय पीठों में रिक्तियां को अगर जल्द न भरा गया तो इसकी कार्यप्रणाली के ही ठप होने का जोखिम हो जायेगा।
एनजीटी की प्रधान पीठ की बार एसोसिएशन ने कहा है कि एनजीटी अधिनियम की धारा 4(1) के अनुसार अधिकरण में न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों की संख्या न्यूनतम दस–दस होनी चाहिए, जबकि वर्तमान में केवल चार न्यायिक और छह विशेषज्ञ सदस्य कार्यरत हैं।
याचिका में कहा गया है कि नियुक्तियों में देरी और आगामी सेवानिवृत्तियों के कारण अनिवार्य कोरम भी पूरा कर पाना संभव नहीं रहेगा, जिससे अधिकरण की कार्यवाही के लगभग ठप होने की स्थिति बन जाएगी। हालत यह है कि विभिन्न क्षेत्रीय पीठों के सदस्यों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़कर पीठों का गठन किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण संबंधी संवेदनशील मामलों में पक्षकारों को असुविधा का सामना करना पड़ता है।
याचिका में उच्चतम न्यायालय के उन पूर्व आदेशों का हवाला दिया गया है जिनमें प्रभावी न्यायिक कार्यवाही के लिए अधिकरणों की संतुलित संरचना बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया गया था। इसमें वर्ष 2023 और 2025 के उन आदेशों का भी उल्लेख है जिनके जरिए न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाया गया था।
याचिका के अनुसार केंद्र सरकार ने दो अगस्त 2025 को दो न्यायिक और चार विशेषज्ञ सदस्यों की नियुक्ति की थी, लेकिन अब तक केवल चार विशेषज्ञ सदस्य ही कार्यभार ग्रहण कर पाए हैं। यही नहीं मौजूदा दो विशेषज्ञ सदस्य भी रिटायर होने वाले हैं।
एनजीटी को पर्यावरण संरक्षण संबंधी मामलों के लिए एक विशेष वैधानिक संस्था बताते हुए याचिका में कहा गया है कि सदस्यों की समय पर नियुक्ति न होने से पर्यावरण से जुड़े महत्वपूर्ण मसलों की सुनवाई प्रभावित होगी और अधिकरण की कार्यवाही लगभग बंद होने की हालत में आ जायेगी। याचिका में उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया गया है कि वह केंद्र को नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने का निर्देश देने दे।
