शेख हसीना पर आईसीटी के फैसले से पहले ढाका में कड़ी सुरक्षा

ढाका, 16 नवंबर (वार्ता) बंगलादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दायर एक मामले में अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) द्वारा सोमवार को फैसला सुनाए जाने के मद्देनजर ढाका और आसपास के जिलों में सुरक्षा व्यवस्था बहुत कड़ी की गई है।

पुलिस, सेना और बॉर्डर गार्ड बंगलादेश (बीजीबी) ने विशेष रूप से सरकारी भवनों, सचिवालय और न्यायाधिकरण परिसर के पास अतिरिक्त जांच चौकियां स्थापित की हैं।

अधिकारियों ने हाल ही में आगजनी और देसी बम विस्फोटों में वृद्धि की सूचना दी है जिससे जनता की चिंताएं और बढ़ गई है। सरकार ने जहां शांति की अपील की है वहीं छात्र संगठनों और विपक्षी राजनीतिक समूहों ने स्थिति को अस्थिर करने के किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी है।

अवामी लीग की राजनीतिक गतिविधियों पर अभी भी प्रतिबंध लगा हुआ है, उसने पहले 13 नवंबर को “ढाका लॉकडाउन” की घोषणा की थी, ताकि वह अपने वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी एवं राजनीतिक रूप से प्रेरित मुकदमों के विरोध में प्रदर्शन कर सके।

गृह मंत्रालय ने सभी सुरक्षा एजेंसियों को आदेश दिया है कि वे फैसले से पहले के दिनों में अधिकतम अलर्ट पर रहें।

यह तिथि न्यायाधिकरण-एक की तीन सदस्यीय न्यायिक पीठ द्वारा निर्धारित की गई थी, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति मोहम्मद गोलाम मुर्तुजा मोजुमदार ने की थी तथा न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीउल आलम महमूद और न्यायमूर्ति मोहितुल हक इनाम चौधरी इसके सदस्य थे।

यह फैसला जुलाई 2024 के जन-विद्रोह के दौरान किए गए कथित अपराधों से संबंधित है जिसके कारण देश में व्यापक हिंसा हुई थी और अवामी लीग सरकार गिर गई थी। शेख हसीना के साथ, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर भी आरोप लगाए गए थे। बाद में अल-मामून इस मामले में सरकारी गवाह बन गया। मुकदमे की कार्यवाही 23 अक्टूबर को समाप्त हुई।

व्यापारिक नेताओं ने बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितता पर चिंता व्यक्त की है तथा आशा व्यक्त की है कि आगामी राष्ट्रीय चुनाव देश को स्थिर करने में मदद करेंगे।

नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा अवामी लीग और उसके संबद्ध संगठनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से, पार्टी के नेता ऑनलाइन अभियानों में शामिल होते हुए अज्ञात स्थानों से सोशल मीडिया के माध्यम से निर्देश जारी कर रहे हैं।

जुलाई 2024 में, आर्थिक तंगी, भ्रष्टाचार और रोज़गार संकट के ख़िलाफ़ छात्रों के नेतृत्व में हुए विद्रोह ने शेख़ हसीना की सरकार गिरा दी थी और पांच अगस्त को वह भारत चली गईं और यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि जुलाई के विरोध प्रदर्शनों के दौरान लगभग 1,400 लोग मारे गए। यह वही आईसीटी है जिसे अवामी लीग सरकार ने मूल रूप से 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए युद्ध अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए स्थापित किया था और जिसने पहले जमात-ए-इस्लामी के कई नेताओं पर मुकदमा चलाया था।

 

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