नीमच। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में हुई बेमौसम बारिश ने मालवा अंचल के किसानों को हैरत में डाल दिया है। खेतों में पानी भरने से जहां मिट्टी की नमी बढ़ी है, वहीं अब यह सवाल उठने लगा है कि यह बारिश रबी फसलों के लिए वरदान बनेगी या संकट का कारण
कृषि वैज्ञानिक डॉ. सीपी पचौरी का कहना है कि इस समय हुई बारिश को एक ही नजरिए से नहीं देखा जा सकता। उन्होंने बताया कि जिन खेतों में अभी बुवाई बाकी है, वहां यह बारिश सोने पर सुहागा साबित होगी। मिट्टी में नमी बढऩे से चना, गेहूं और सरसों जैसी फसलों की बुवाई के लिए आदर्श स्थिति बन गई है।
हालांकि जिन खेतों में फसल अंकुरित हो चुकी है, वहां यह बरसात नुकसानदायक साबित हो सकती है। डॉ. पचौरी ने कहा कि यदि खेतों में पानी रुक गया तो सडऩ और फफूंदजनित रोगों का खतरा बढ़ जाएगा। ऐसे खेतों में जल निकासी की तत्काल व्यवस्था जरूरी है।
अफीम फसल को सबसे बड़ा खतरा-
मालवा-नीमच क्षेत्र में इन दिनों अफीम की बुवाई का दौर जारी है। विशेषज्ञों के अनुसार अत्यधिक नमी अफीम की पौध के लिए हानिकारक है। जलभराव से पौध की जड़ें सड़ सकती हैं, जिससे फसल को शुरुआती अवस्था में ही नुकसान पहुँच सकता है। डॉ. पचौरी ने किसानों को सलाह दी कि बारिश के बाद खेतों की सफाई करें, हल्की गुड़ाई करें और दवाई छिडक़ाव पर ध्यान दें ताकि मिट्टी में हवा का संचार बना रहे। साथ ही फफूंद और कीट रोगों के प्रति सतर्क रहें।
जिन किसानों ने अभी बुवाई नहीं की, उनके लिए मौका-
जिन किसानों ने अभी तक बुवाई नहीं की है, उनके लिए यह बारिश उम्मीद लेकर आई है। मिट्टी में पर्याप्त नमी बन जाने से बुवाई के लिए यह मौसम एक आदर्श अवसर बन गया है। हालांकि जहां बुवाई हो चुकी है लेकिन बीज अभी अंकुरित नहीं हुआ, वहां नुकसान की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। विशेषकर अफीम, मैथी, कलौंजी, धनिया और सरसों जैसी फसलों में नुकसान की आशंका अधिक है।
फिलहाल, किसानों की निगाहें अब आने वाले दिनों के मौसम पर टिकी हैं। मौसम विभाग ने अभी और बारिश की संभावना जताई है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बारिश मालवा की धरती को नई ऊर्जा देती है या फसलों के लिए नई चुनौती बनती है।
