
ग्वालियर। एमपी हाईकोर्ट ने श्योपुर की नगर परिषद अध्यक्ष को पद से हटाते हए उनके सभी अधिकार प्रतिबंधित कर दिए हैं। नगर परिषद अध्यक्ष रेणु गर्ग पर ये कार्रवाई की गई है। ग्वालियर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए उन्हें पद से हटा दिया। नगर परिषद चुनाव में अनियमितताओं की शिकायतों का मामला कोर्ट में पहुंचा था। इस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया। आदेश के अनुसार रेणु गर्ग अब आगामी आदेश तक अध्यक्षीय कामकाज नहीं कर सकेंगी। कोर्ट के इस फैसले से श्योपुर नगर सहित जिलेभर के राजनीतिक हल्कों में हड़कंप सा मच गया है।
कोर्ट ने उनके सभी अधिकारों पर तत्काल प्रभाव से पाबंदी भी लगा दी है। कोर्ट ने श्योपुर नगर परिषद के अध्यक्ष को काम करने से रोकते हुए कहा कि वे कानून का दुरुपयोग कर रही हैं। इसलिए पद पर कार्य नहीं कर सकती। हाईकोर्ट का ये आदेश बुधवार से प्रभावी हो गया है। ग्वालियर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने रेणु गर्ग को तत्काल प्रभाव से कार्य करने से रोक दिया। कोर्ट ने कहा कि बिना राजपत्र में अधिसूचना के अध्यक्ष के रूप में कार्य करना अवैध है। प्रतिवादी विभिन्न अदालतों में विरोधाभासी रुख को अपनाकर कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं।
दरअसल सुमेर सिंह आवेदक ने रेणु गर्ग के निर्वाचन को न्यायालय में चुनौती दी जिसे ट्रायल कोर्ट ने कई आधारों पर खारिज कर दिया था। खारिज करने का एक प्रमुख आधार यह था कि चुनाव याचिका समय से पहले (प्रीमैच्योर) दायर की गई थी।
एमपी नगरपालिका अधिनियम की धारा 20(3)(i) के अनुसार, चुनाव के परिणाम की राजपत्र में अधिसूचना की तारीख से 30 दिनों के भीतर ही चुनाव याचिका दायर की जा सकती है। इसलिए याचिका पहले दायर मानी गई। उसे ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट में सिविल रिवीजन दायर की।
हाईकोर्ट ने रेणु गर्ग को काम करने से रोक दिया। खुली अदालत में आदेश पढ़ा गया। इस आदेश को लागू कर रेणु गर्ग को कार्य करने से रोक दिया।
कोर्ट ने कहा कि बिना राजपत्र अधिसूचना के प्रतिवादी नंबर 1 रेणु गर्ग अध्यक्ष के रूप में कार्य नहीं कर सकतीं। इन परिस्थितियों में, कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता जताते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया।
