सीहोर। राज्य सरकार भले ही भावांतर भुगतान योजना से किसानों को उनकी सोयाबीन की उपज का सही दाम देने के दावे कर रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि किसान इस भावांतर भुगतान योजना से खुश नहीं हैं. किसानों का दावा है कि यह सरकार का सिर्फ छलावा है, क्योंकि 8 साल पहले तक का भुगतान सरकार ने अब तक नहीं किया है. किसानों का कहना है कि समर्थन मूल्य पर सोयाबीन का उपार्जन होना चाहिए। ताकि पंजीकृत किसानों को उनके सोयाबीन का उचित भुगतान मिल सके। इसके लिए 6 अक्टूबर को किसान भैरूंदा में आक्रोश रैली निकालेंगे. इस आक्रोश रैली में करीब 4 हजार से ज्यादा ट्रैक्टर शामिल होंगे.
गौरतलब है कि शुक्रवार से भावांतर भुगतान योजना के पंजीयन शुरू किए गए हैं. जिले में पंजीयन के लिए 68 पंजीयन केंद्र बनाए गए हैं. यहां किसान सीधे पहुंचकर भावांतर भुगतान योजना के पंजीयन करवा सकते हैं. राज्य सरकार ने एक बार फिर भावांतर भुगतान योजना शुरू करने का फैसला लिया है, जिसके तहत किसानों का पंजीयन 17 अक्टूबर तक चलेगा. 24 अक्टूबर से 15 जनवरी तक योजना चलेगी. किसान अपनी उपज का पंजीयन सोसायटी स्तर पर बनाए गए केंद्रों, ग्राहक सेवा केंद्रों, एमपी ऑनलाइन, एमपी किसान एप और ई-उपार्जन पोर्टल पर कर सकेंगे. इस बार योजना में सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5300 रुपए तय किया गया है. बाजार में यदि फसल की कीमत एमएसपी से कम रही, तो सरकार किसानों को अंतर की राशि भावांतर के रूप में देगी. हालांकि, किसानों को अभी भी 2017-18 की भावांतर योजना की राशि का इंतजार है, जिससे उनकी उम्मीदों के साथ शंका भी जुड़ी हुई है. पिछले साल 2024 में भी सोयाबीन के भाव बेहद कम थे. किसानों के विरोध के बाद सरकार ने एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी भी की थी.
अब भी किसानों को पुरानी राशि का इंतजार
गांव चांदबड़ के किसान बद्रीप्रसाद ने बताया कि 8 साल पहले भावांतर भुगतान योजना में सरकार को 30 क्विंटल सोयाबीन बेची थी. उसकी राशि आज तक नहीं आई. अब फिर सरकार वहीं योजना शुरू कर रही है. हम फिर से योजना में सोयाबीन बेचें और समय राशि मिल जाए, इसकी गारंटी आखिर कौन लेगा? उन्होंने बताया कि भुगतान के संबंध में उन्होंने कई बार शिकायत भी की है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. अब तो भुगतान मिलने की आस भी टूट गई, लेकिन फिर से भावांतर भुगतान योजना के दावे भाजपा सरकार कर रही है. ऐसे में सरकार को समर्थन मूल्य पर ही सोयाबीन की खरीदी करना चाहिए.
समर्थन मूल्य पर ही की जाए खरीदी
सोयाबीन की भावांतर भुगतान योजना बंद की जाए खरीदी पिछले साल की तरह समर्थन मूल्य पर की जाए. हम 6 अक्टूबर को भैरूंदा में अक्रोश रैली निकालेंगे.रैली में 4 हजार से ज्यादा ट्रैक्टर शामिल होंगे. इसको लेकर हम ज्ञापन भी दे चुके हैं.
गजेन्द्र जाट,
प्रदेश सचिव, किसान स्वराज संगठन
