हैती में हालात सामान्य करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने उठाये कदम

नयी दिल्ली, 02 अक्टूबर (वार्ता) हैती में सक्रिय गिरोह लगातार अपने नियंत्रण क्षेत्रों को बढ़ाते जा रहे हैं और लोगों को आतंकित कर रहे हैं। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हैती में गिरोहों द्वारा की जा रही हिंसा के ख़िलाफ़ निर्णायक कार्रवाई करते हुए केन्या के नेतृत्व वाले बहुराष्ट्रीय मिशन को एक नए ‘गिरोह दमन बल’ (गैंग सप्रेशन फोर्स -जीएसएफ) में तब्दील करने के लिए प्रस्ताव पारित किया है।
गैंग सप्रेशन फोर्स (जीएसएफ) हैती में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अधिकृत एक नया बहुराष्ट्रीय मिशन है। इस मिशन की अवधि 12 महीने होगी और जिसमें कुल 5500 सैनिक होंगे। यह टीम हैती के राष्ट्रीय पुलिस और अधिकारियों के साथ मिलकर गिरोहों को निष्प्रभावी करने, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करने और मानवीय सहायता सुनिश्चित करने के लिए काम करेगी।
जीएसएफ का उद्देश्य हैती में बढ़ती हिंसा से कमजोर आबादी की रक्षा करना और विस्थापन को रोकना है। सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव पनामा और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सह-प्रायोजित था और यह हैती में पिछले कुछ वर्षों से गहराते बहुआयामी संकट के लिए व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन को दर्शाता है। जीएसएफ मिशन के लिए एक यूएन समर्थित कार्यालय स्थापित किया जाएगा जो जरूरी संसाधन प्रदान करेगा।
गैंग सप्रेशन फोर्स (जीएसएफ) हैती में बहुराष्ट्रीय सुरक्षा सहायता (एमएसएस) मिशन की जगह ले रहा है, जो रणनीति में बदलाव का प्रतीक है। केन्या के नेतृत्व में एमएसएस ने सीमित कर्मियों और संसाधनों के साथ हैती की राष्ट्रीय पुलिस का समर्थन किया। इसे अक्टूबर 2023 में शुरू किया गया था और पहली टुकड़ी, जून 2024 में पहुंची थी। इसके पास पर्याप्त धन नहीं था और इसके तहत 2500 लोगों के अनिवार्य बल को कभी तैनात नहीं किया गया। एमएसएस की अपेक्षा जीएसएफ एक बड़ा, अधिक सशक्त बल होगा जिसका शासनादेश व्यापक होगा।
हैती में गिरोहों को दबाने के लिए तत्काल बल की जरूरत है क्योंकि वहां सुरक्षा स्थिति अभूतपूर्व है। सशस्त्र समूह अब कथित तौर पर राजधानी पोर्ट-ऑ-प्रिंस के 90 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा कर चुके हैं। सड़कों को बंद करते हैं, बुनियादी ढांचे पर हमला करते हैं, अपहरण, बलात्कार और हत्याओं के जरिए नागरिकों को आतंकित करते हैं।
2024 में अकेले 5,600 से अधिक लोग मारे गए। मार्च 2025 से हिंसा राजधानी से बाहर उन क्षेत्रों में फैल गई है जो पहले अछूते थे, विशेष रूप से आर्टिबोनाइट और सेंटर डिपार्टमेंट्स में, जहां क्रमशः 92,000 और 147,000 लोग विस्थापित हुए हैं।
कुल मिलाकर 13 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, और स्वास्थ्य सेवाएं व खाद्य वितरण जैसी आवश्यक सेवाएं चरमरा गई हैं। हैती की राष्ट्रीय पुलिस प्रभावी ढंग से जवाब देने में असमर्थ है।
हैती में राज्य मशीनरी और संस्थाओं का पतन हो चुका है। पुलिस के पास संसाधनों की कमी है। इसलिए वह गिरोह का मुकाबला नहीं कर पा रहा है। राज्य तंत्र की विफलता के कारण गिरोह आपराधिक शासन स्थापित कर रहे हैं। वे बच्चों का शोषण और हथियारों व नशीले पदार्थों की तस्करी कर रहे हैं। हैती में राज्य संस्थानों के पतन के कारण गिरोह की हिंसा भारी है। संयुक्त राष्ट्र ने कई बार कहा है कि दंडमुक्ति, भ्रष्टाचार और संस्थागत पतन हैती की असुरक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं।
यूएन अधिकारियों का कहना है कि केवल सुरक्षा से हैती की उथल-पुथल का समाधान नहीं हो सकता। देश कई संकटों का सामना कर रहा है। भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण मानवीय जरूरतें बढ़ रही हैं। गिरोहों के कारण असुरक्षा की भावना बढ़ी है। अर्थव्यवस्था का पतन हो चुका है। देश में गरीबी और अविकसितता व्याप्त है, और 2021 में राष्ट्रपति जोवेनल मोइसे की हत्या के बाद से कोई निर्वाचित सरकार नहीं है।
यूएन सदस्य देशों का कहना है कि जीएसएफ को व्यापक रणनीति का हिस्सा होना चाहिए जिसमें शासन सुधार, मानवीय सहायता और दीर्घकालिक विकास शामिल हो।
गिरोह दमन बल 2 अक्टूबर 2025 को एमएसएस के कार्यकाल की समाप्ति के बाद अपना अभियान शुरू करने की उम्मीद है। हालांकि 5,500 सुरक्षा कर्मियों और 50 सिविल कर्मचारियों के साथ, नए बल का निर्माण करने और इसे संचालन समर्थन के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय स्थापित करने में समय लगेगा।
यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि कौन से देश, इस बल मिशन के लिए कर्मचारियों का योगदान करेंगे। सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में कहा गया है कि गिरोह दमन बल को मुख्य रूप से संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के स्वैच्छिक योगदान से धन मुहैया कराया जाएगा।

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