शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो तेवर दिखाए, वह भारत की अडिग नीति और वैश्विक राजनीति के लिए साफ संदेश है. मोदी ने आतंकवाद को शांति और स्थिरता का सबसे बड़ा दुश्मन बताया और कहा कि इसके खिलाफ जीरो टॉलरेंस के अलावा कोई रास्ता नहीं है.
प्रधानमंत्री का यह स्वर महज औपचारिकता नहीं था, बल्कि आतंकवाद को पनाह देने वालों पर सीधा प्रहार था.उन्होंने पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले का जिक्र कर कहा कि यह हमला सिर्फ भारत पर नहीं बल्कि पूरी मानवता पर चोट है. मोदी का सवाल था—क्या दुनिया चुपचाप देखती रहेगी, जबकि कुछ देश खुलेआम आतंकवाद को शह देते हैं ?
यह सवाल दरअसल उन ताकतों पर तीखी चोट है, जो आतंकवाद को रणनीतिक संपत्ति मानकर इस्तेमाल करते हैं.भारत ने अपने अनुभव से दुनिया को यह सच दिखा दिया है कि आतंकवाद किसी एक देश की समस्या नहीं, बल्कि वैश्विक संकट है. मुंबई से पुलवामा तक, भारत ने बार-बार इसकी पीड़ा झेली है. यही कारण है कि मोदी जब आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाते हैं, तो उसमें पीड़ा के साथ संकल्प भी झलकता है.
भारत की नीति साफ है,आतंकवाद के लिए कोई समझौता नहीं. मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के जरिए यह साबित भी किया है कि भारत केवल चेतावनी नहीं देता, बल्कि निर्णायक कार्रवाई भी करता है. आज दुनिया भारत की इस नीति को गंभीरता से सुन रही है, क्योंकि यह खोखले नारे नहीं बल्कि जमीनी हकीकत से उपजे शब्द हैं.
मोदी का यह कहना कि आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद हर देश की शांति और समृद्धि के लिए खतरा हैं, वर्तमान वैश्विक स्थिति पर सटीक टिप्पणी है. उन्होंने एससीओ जैसे मंच को उसकी जिम्मेदारी भी याद दिलाई. इस संगठन में एशिया की बड़ी ताकतें शामिल हैं, और यदि यही देश आतंकवाद पर सख्त कदम नहीं उठाएंगे, तो फिर कौन उठाएगा ?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने संबोधन में यूक्रेन संकट का मुद्दा उठाया, लेकिन मोदी का जोर आतंकवाद पर था. यह दिखाता है कि भारत की प्राथमिकता साफ है—दुनिया में शांति और स्थिरता तभी संभव है, जब आतंकवाद की जड़ें पूरी तरह काटी जाएं . भारत का यह दृष्टिकोण न केवल दक्षिण एशिया बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है.
दरअसल, मोदी ने दुनिया को आईना दिखा दिया है. अब अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को तय करना है कि वह आतंकवाद के खिलाफ खड़ी होती है या फिर उसे परोक्ष समर्थन देने वालों की ढाल बनी रहती है. भारत ने अपना रास्ता चुन लिया है. जीरो टॉलरेंस अब सिर्फ नारा नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय नीति है.
शंघाई सम्मेलन ने साबित कर दिया है कि भारत अब किसी भी मंच पर आतंकवाद का मुद्दा उठाने से पीछे नहीं हटेगा. मोदी का भाषण दुनिया के लिए चेतावनी भी था और प्रेरणा भी. उन्होंने साफ कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लंबी जरूर है, लेकिन भारत पीछे हटने वाला नहीं. सवाल अब बाकी देशों से है कि क्या वे भी इस लड़ाई में उतनी ही गंभीरता दिखाएंगे, जितनी भारत दिखा रहा है ? बहरहाल, खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की मौजूदगी में खुलेआम पहलगाम हमले के बहाने पाकिस्तान पर निशाना साधा. प्रधानमंत्री की चीन यात्रा दुनिया की जिओ पॉलिटिक्स के मद्देनजर एक टर्निंग प्वाइंट साबित हो रही है. भारत, रूस और चीन
की तिकड़ी ने अमेरिका और पश्चिमी देशों के समक्ष एक नया शक्तिशाली समीकरण खड़ा किया है.दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जिस प्रखरता के साथ आतंकवाद के खिलाफ मोर्चा खोला, वो पाकिस्तान और उसके सरपरस्त अमेरिका के लिए खास तौर पर चेतावनी है.
