
तियांजिन, 01 सितंबर (वार्ता) रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन संकट में मध्यस्थता के लिए भारत और चीन के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा है कि उनकी पहल ने चल रही शांति वार्ताओं को और मूल्यवान बनाया है।
तियांजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र में बोलते हुए श्री पुतिन ने यह बात कही। वह यूक्रेन संकट पर रूस का पक्ष रख रहे थे।
इससे इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री पुतिन के साथ हुई बैठक में भारत का रुख स्पष्ट करते हुए कहा, “ यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के विषय में हम लगातार चर्चा करते रहे हैंं। हाल ही में किये गये शांति के सभी प्रयासों का हम स्वागत करते हैं। हम आशा करते हैं कि सभी पक्ष रचनात्मकता के साथ आगे बढेंगे, संघर्ष को जल्द से जल्द खत्म करने और स्थायी शांति स्थापित करने का रास्ता खोजना होगा, यह पूरी मानवता की पुकार है।”
श्री पुतिन ने अपने संबोधन में मास्को के इस पुराने रुख को दोहराया कि यूक्रेन संघर्ष, रूसी ” हमले” का नहीं बल्कि 2014 में वहां हुए पश्चिम समर्थित तख्तापलट और यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की कोशिशों का नतीजा था। उन्होंने कहा, “जैसा कि हमने बार-बार ज़ोर दिया है, यह रूस की सुरक्षा के लिए सीधा ख़तरा है।”
पुतिन के अनुसार यूक्रेन के तत्कालीन नेतृत्व ने नाटो में शामिल होने का विरोध किया तो वहां तख्तापलट करवा दिया गया। उन्होंने दोहराया, “यूक्रेन में संकट ‘आक्रमण’ के कारण नहीं, बल्कि यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों के तख्तापलट की वजह से आया है।”
श्री पुतिन ने एक नए यूरेशियन सुरक्षा ढांचे को आकार देने में एससीओ के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि यह “पुराने यूरोकेंद्रित और यूरो-अटलांटिक मॉडलों” की जगह लेगा। एससीओ के बढ़ते प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए, श्री पुतिन ने कहा कि एससीओ वैश्विक मामलों में अधिक सक्रिय भूमिका निभा रहा है और सदस्य देश व्यापार में राष्ट्रीय मुद्राओं का अधिकाधिक उपयोग कर रहे हैं।
विदित हो कि रूस नवंबर में एससीओ के शासनाध्यक्षों की बैठक की मेजबानी करेगा।
