जबलपुर: हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने ग्राम रोजगार सहायक की सेवा समाप्ति का आदेश अनुचित पाकर निरस्त कर दिया। साथ ही राज्य शासन को यह स्वतंत्रता दे दी कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध आरोपों की उचित व स्वतंत्र जांच कराई जा सकती है। याचिकाकर्ता का पिछला बकाया भुगतान जांच के परिणाम के अधीन होगा।याचिकाकर्ता छिंदवाड़ा निवासी एके नायक की ओर से यह मामला दायर किया गया था।
जिसमें कहा गया कि जिला पंचायत के सीईओ ने 12 सितंबर 2017 को उसकी सेवाएं समाप्त कर दी थीं। इसके बाद संभागायुक्त जबलपुर ने भी अपील निरस्त कर दी थी। याचिकाकर्ता पर आरोप था कि उन्होंने निर्धारित टारगेट पूर्ण नहीं किया था। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने लक्खू के मकान निर्माण के लिए स्वीकृत राशि को अपनी पत्नी भगवती नायक के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया था।
याचिकाकर्ता गंभीर बीमारी से ग्रस्त था, इसलिए वह टारगेट पूरा नहीं कर पाया, यह बड़ा कदाचरण नहीं है। जिस लाभार्थी के मकान की राशि भगवती के अकाउंट में प्रेषित की गई, वह उसी का पिता है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कार्रवाई के पहले कारण बताओ नोटिस नहीं भेजा और नैसर्गिक न्याय सिद्धांत के अनुरूप सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये।