हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश कर व्यक्त की असमर्थता
जबलपुर। साइबर पुलिस ने रिपोर्ट पेश करते हुए नर्सिंग काउंसिल के दफ्तर में लगे सीसीटीवी फुटेज के डीवीआर से डिलिट फुटेज को रिकवर करने में असमर्थता व्यक्त की है। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी तथा जस्टिस ए के पालीवाल की युगलपीठ ने काउंसिल दफ़्तर के आसपास लगे हुए कैमरों की सीसीटीवी फ़ुटेज की जाँच कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये है। याचिका पर अगली सुनवाई 18 मार्च को निर्धारित की गयी है।
गौरतलब है कि लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में प्रदेश में फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित किये जाने को चुनौती दी गयी थी। याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सीबीआई जांच में अयोग्य पाये गये नर्सिंग कॉलेज को साल 2018 से मान्यता प्रदान करने वाले अधिकारियों की सूची पेश करने के निर्देश दिये है। युगलपीठ ने एमपीएनआरसी कार्यालय से 13 से 19 दिसम्बर के बीच की डिलिट हुए सीसीटीवी फुटेज की रिक्वरी सहायक पुलिस आयुक्त साइबर को दिये थे।
याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अप्रात्र कॉलेज के छात्रों को प्रात्र कॉलेज में शिफ्ट करने आवेदन पेश किया गया। इस संबंध में सरकार से निर्देश प्राप्त करने सरकारी अधिवक्ता ने समय प्रदान करने का आग्रह किया, जिसे युगलपीठ ने स्वीकार कर लिया। सरकार के द्वारा साल 2018 से अप्रात्र नर्सिंग कॉलेज को मान्यता देने वाले जिम्मेदार अधिकारियों के नामों की सूची बंद लिफाफे में युगलपीठ ने समक्ष पेश की गयी। जिसके बाद युगलपीठ ने अप्रात्र नर्सिंग कॉलेज की मान्यता संबंधित ओरिजनल फाइल हाईकोर्ट में पेश करने के आदेश जारी किये। युगलपीठ ने फ़ाइलों के आधार पर अधिकारियों की ज़िम्मेदारी तय करते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई के आदेश दिए जाएंगे। युगलपीठ ने हजारों नर्सिंग छात्रों को राहत प्रदान करते हुए प्रोविज़नल मार्कशीट के स्थान पर नई मार्कशीट जारी करने के निर्देश जारी किये है। जिसमें प्रोविजनल शब्द को विलोपित किया जाये। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पैरवी की।