ग्वालियर: जीवाजी विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास अध्ययनशाला के विभागीय संग्रहालय में रैगिंग के विरुद्ध एन्टी रैगिंग महोत्सव के उपलक्ष्य में पोस्टर मेकिंग एवं स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन आज हुआ। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में एंटी रैगिंग जैसी आपराधिक प्रवृतियों के निषेध तथा कैम्पस को पूरी तरह रैगिंग मुक्त करना था। रैगिंग पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. एस.के. सिंह, प्रोक्टर, जीवाजी विश्वविद्यालय, अध्यक्ष के रूप में प्रो. राजकुमार आचार्य, कुलगुरु जीवाजी विश्वविद्यालय उपस्थित रहे।
प्रो. एस.के. सिंह ने विद्यार्थियों को एंटी-रैगिंग महोत्सव से संबंधित विस्तृत जानकारी देते हुए रैगिंग के विधार्थियों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को रेखांकित करते हुए छात्रों की मानसिक स्थिति एवं उनके व्यवहारिक आदतों के बारे में बताया। रैगिंग लेने वाले छात्र-छात्राओं की मनःस्थिति का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि उसके विकृत व्यवहार का उसे स्वंय पता नहीं चलता कि प्रताड़ित छात्र-छात्रा की मानसिक स्थिति पर इसके क्या दुष्परिणाम होंगे।
कभी-कभी ऐसा भी देखा गया है कि प्रताड़ित छात्र-छात्रा उस घटना से आजीवन मानसिक अवसाद में रहता है, यहाँ तक कि आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेता है जबकि रैगिंग लेने वाले छात्र-छात्रा के लिए वह घटना एक सामान्य घटना बन कर रह जाती है। कुलगुरु राजकुमार आचार्य ने अपने वक्तव्य में छात्र-छात्राओं को रैगिंग के दुष्परिणामों के बारे मे बताया।
