देखरेख के लिए मानवीय आधार पर मिली जमानत
जबलपुर: परिवहन विभाग में करोड़ों के भ्रष्टाचार मामले में पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के साथी को हाईकोर्ट ने मानवीय आधार पर जमानत का लाभ प्रदान किया है। आईवीएफ उपचार के बाद पत्नी ने गर्भधारण करने के बाद दो जुड़वा बच्चों को सर्जरी से जन्म दिया था। बच्चों तथा पत्नी की देखरेख के लिए मामले में आरोपी चेतन सिंह को हाईकोर्ट जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल ने अंतरिम जमानत का लाभ प्रदान किया है।
जेल में निरुद्ध चेतन सिंह की तरफ से अंतरिम जमानत के लिए दायर आवेदक में कहा गया था कि उसका विवाह शादी वर्ष 2012 में हुआ था। चिकित्सीय कठिनाइयों और बांझपन के कारण, दंपति गर्भधारण नहीं कर पा रहे थे। गर्भधारण के लिए पत्नी का दो बार आईवीएफ उपचार करवाया था। पत्नी ने समय से पूर्व 14 जून को जुडवा बच्चों को जन्म दिया है। जुड़वाँ बच्चों को कड़ी चिकित्सीय निगरानी में एनआईसीयू में भर्ती कराया गया है। आवेदक अपनी पत्नी और बच्चों का एकमात्र देखभालकर्ता है और उन्हें आवेदक की शारीरिक उपस्थिति की तत्काल आवश्यकता है। उसकी पत्नी स्वयं भी सर्जरी करवा रही है। आवेदक के साथ चिकित्सा संबंधित दस्तावेज भी पेश किये गये थे। सरकारी अधिवक्ता की तरफ से अंतरिम जमानत आवेदन का विरोध किया।
एकलपीठ ने अंतरित जमानत का लाभ प्रदान करते हुए अपने आदेष में कहा है कि आवेदक अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती समय से पहले जन्मे जुड़वाँ बच्चों का पिता तथा पत्नी का पति है। अपनी पत्नी का पति है। उनकी देखभाल के लिए आवेदक की शारीरिक उपस्थिति आवश्यक है। गुण-दोष पर विचार किए बिना मानवीय आधार पर आवेदन को 27 अगस्त 2025 तक अंतरिम जमानत का लाभ प्रदान किया जाता है। आवेदन को 28 अगस्त 2025 से पहले संबंधित निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा। आवेदन निर्धारित समय अवधि में आत्मसमर्पण नहीं करता है तो निचली अदालत उसे हिरासत में लेने के लिए स्वतंत्र होगी।
