वाशिंगटन, 31 जुलाई (वार्ता) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपना ब्रिक्स विरोधी रुख दोहराते हुए दावा किया है कि यह बहुराष्ट्रीय समूह अमेरिकी डॉलर को विश्व की आरक्षित मुद्रा के रूप में बदलने की इसलिए धमकी दे रहा है क्योंकि भारत भी इस समूह का हिस्सा है।
रूसी सरकारी मीडिया तास की रिपोर्ट के अनुसार, भारत पर लगाए जाने वाले आयात शुल्क पर चर्चा करते हुए श्री ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, “उनके पास ब्रिक्स है, जो मूल रूप से अमेरिका विरोधी देशों का एक समूह है, और भारत इसका सदस्य है, अगर आप इस पर विश्वास कर सकते हैं।”
श्री ट्रम्प ने भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार घाटे के कारण एक अगस्त से भारत पर आयात शुल्क लगाने को उचित ठहराया और तर्क दिया कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। ब्रिक्स के बारे में चर्चा करते हुए श्री ट्रम्प ने यह भी कहा, “यह डॉलर पर हमला है, और हम किसी को भी डॉलर पर हमला नहीं करने देंगे।”
गौरतलब है कि उन्होंने 8 जुलाई को ब्रिक्स का हिस्सा या उससे जुड़े किसी भी देश पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की धमकी दी थी और कहा था कि अमेरिकी डॉलर दुनिया की अग्रणी मुद्रा का अपना दर्जा नहीं खोएगा।
ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका द्वारा स्थापित इस बहुराष्ट्रीय समूह, जिसमें अब इंडोनेशिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और इथियोपिया भी शामिल हो गए हैं, ने पहले अमेरिकी डॉलर के विकल्प के रूप में एक वैकल्पिक मुद्रा पर चर्चा की थी, लेकिन वर्तमान में ऐसी कोई व्यवस्था लागू नहीं है।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने श्री ट्रम्प के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि उनका संगठन वैश्विक अर्थव्यवस्था का डॉलरीकरण कम करना चाहता है। उन्होंने तर्क दिया कि संगठन के सदस्य केवल अपनी-अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं में एक-दूसरे के साथ व्यापार करने पर सहमत हुए हैं, जो अमेरिका द्वारा मुद्रा के दुरुपयोग के विकल्प के रूप में है।
