
इंदौर. शहर में दोपहिया चालकों के लिए बिना हेलमेट पेट्रोल न देने के प्रशासनिक आदेश को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है. शहर के नागरिकों की तरफ से इस फैसले को असंवैधानिक और अव्यावहारिक बताया है. याचिका में तर्क दिया गया है कि जहां ट्रैफिक की रफ्तार सामान्यतः धीमी होती है, वहां हेलमेट की अनिवार्यता का कोई औचित्य नहीं बनता. इस आदेश को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई है. हाईकोर्ट इस मामले में सोमवार को सुनवाई करेगा.
यह जनहित याचिका हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट रितेश ईनानी के माध्यम से दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि शहर के अंदरूनी हिस्सों जैसे परदेशीपुरा, राजवाड़ा, पलासिया, जेल रोड, आदि क्षेत्रों में वाहन चालकों की रफ्तार पहले से ही कम रहती है. ऐसे में वहां हेलमेट पहनना अनिवार्य करना तर्कसंगत नहीं है. याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि प्रशासनिक आदेश नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और इससे पेट्रोल पंप संचालकों को भी एक अतिरिक्त जिम्मेदारी का बोझ उठाना पड़ रहा है. उन्हें कानून का पालन कराने की भूमिका दी जा रही है, जो उनकी व्यावसायिक सीमा से बाहर है. याचिका में दलील दी गई है कि यदि सड़क सुरक्षा की दृष्टि से नियम बनाना ही है तो उसे शहर के बाहरी हिस्सों और हाईवे पर लागू किया जाना चाहिए, जहां तेज रफ्तार की वजह से हादसों की आशंका अधिक रहती है. याचिका में अपील की गई है कि शहर के मध्यवर्ती और अत्यधिक भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में इसे शिथिल किया जाए. अब निगाहें अदालत की अगली कार्यवाही पर हैं, जो यह तय करेगी कि सार्वजनिक सुरक्षा बनाम नागरिक अधिकारों की इस टकराहट में संतुलन किस तरह बैठाया जाए.
