नयी दिल्ली 26 जुलाई (वार्ता) दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि हम में से हर व्यक्ति को बॉर्डर पर जाकर दुश्मन का सामना नहीं करना बल्कि देश हित में ऐसे काम करने है जिनसे आने वाली पीढ़ियां हमें सदियों तक याद रख सकें।
श्री सूद ने शनिवार को यहां दिल्ली विश्वविद्यालय के शिवाजी कॉलेज में आयोजित करगिल विजय दिवस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया। श्री सूद ने इस अवसर पर कहा कि शहीद भगत सिंह को याद करना सबको अच्छा लगता है। सब भगत सिंह से प्रेरणा लेना चाहते है मगर भगत सिंह मेरे घर में जन्मे यह कोई नहीं चाहता। हर कोई चाहता है कि समाज में सब कुछ अच्छा हो और हमारी सीमाएं सुरक्षित रहें। मगर सीमा की सुरक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाला पड़ोसी के घर से हो। फिर भी इस देश की माटी में ऐसा खून है कि हमारी नई पीढ़ी फौज में भर्ती होना चाहती हैं। युवा पीढ़ी में वो जज्बा है जो देश हित को सर्वोपरि मानती है।
उन्होंने कहा कि भारतीय परिवार का यदि एक व्यक्ति शहीद होता है तो उसकी पीढ़ी का अगला व्यक्ति पहले से ही फौज में जाने के लिए तैयार रहता है। लोग फौज में जाते हैं क्योंकि उनके मन में इस देश की सेवा करने का जज़्बा होता है।
करगिल के शहीदों को याद करते हुए श्री सूद ने कहा कि जैसा देश के प्रति समर्पित जीवन हमारे नौजवानों ने जिया वह हम सब के लिए प्रेरणास्रोत है। मात्र 20 से 25 साल के युवा फौजियों ने देश के लिए जो किया था वह अद्भुत है। मैं दिल से ये मानता हूं कि कुछ ना कुछ ज़रूर उन व्यक्तियों के अंदर होता है जिसके कारण वे लोग अपना जीवन इस देश के ऊपर कुर्बान कर देते हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा, “हम सबको बॉर्डर पर जाने की जरूरत नहीं है। हम में से हर व्यक्ति को बॉर्डर पर जाकर दुश्मन का सामना नहीं करना, बल्कि देश हित में ऐसे काम करने है जिनसे आने वाली पीढ़ियां हमें सदियों तक याद रख सकें। मैं तो यहाँ तक मानता हूँ कि अपने आसपास को साफ रखना और ये निर्णय करना कि मैं कोई गलत काम नहीं करूँगा, देश के ट्रैफिक सिग्नल्स की पालना करना, देश के अंदर बेहतर सिविक सेंस के साथ अच्छे नागरिक बनके रहना, इस देश और समाज के लिए यहाँ के पर्यावरण की रक्षा करना, सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना भी एक प्रकार की देशभक्ति ही है। ये भी देश के लिए बहुत बड़ा काम है जिसको हम सबको करना चाहिए।”

