
सिंगरौली। मध्य रेलवे के बरगवां रेल क्रॉसिंग पर लगने वाले जाम की समस्या से निजात के लिए बन रहा ओव्हर ब्रिज करीब दो साल बाद भी पूरा होते नही दिख रहा है। पुल निर्माण अधूरा होने से जिला मुख्यालय बैढ़न की ओर और मुख्यालय से देवसर-सीधी तरफ जाने वाले लोगों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें कि राज्य शासन ने 13 अक्टूबर 2022 को बरगवां-बैढ़न मार्ग पर मध्य रेलवे ओव्हर ब्रिज का निर्माण करीब 35 करोड़ 7 लाख से निर्माण कार्य की स्वीकृति मिली तो लोगों को उम्मीद जगी कि संभवत: एक-दो साल में ओव्हर ब्रिज का निर्माण होने के बाद होने वाले समस्या से निजात मिलेगा, लेकिन ओव्हर ब्रिज निर्माण के डेढ़ साल बाद भी काम कछुआ गति से चल रहा है। 22 जून 2023 से चल रहे ओव्हर ब्रिज का निर्माण कार्य चल रहा है। जिसे 24 महीने के अंदर पूरा करना था, लेकिन काम महज 50 फीसदी ही हो पाया है। बारिश के समय यहां की सड़के कीचड़ से लथपथ हो गई हैं। बरगवां बाजार कीचड़ में तब्दील हो गया है। बाजार स्थल पर दुकान लगाने के लिए अधिकांश दुकानदारों को साफ जगह नही मिल रही। राहगीरों सहित दो पहिया वाहन चालको को फिसलन भरे कीचड़ के बीच से गुजरने को मजबूर हैं। बारिश होते ही कीचड़ से सराबोर बाजार से आने-जाने वाले लोग अक्सर फिसल कर गिर रहे हैं। गनीमत है कि कोई बड़ा हादसा अभी तक सामने नही आया है। हालात यह हैं कि कब गिर जाये कहा नही जा सकता। रेलवे ओव्हर ब्रिज का काम शुरू हुआ, लेकिन बाजार में कीचड़ से आम लोग सहित दुकानदार परेशान न हो, इसके लिए जिम्मेदारों ने कोई ठोस कदम नही उठाया। बारिश होते ही बाजार के कीचड़ को याद कर के ही लोग घरों से नही निकल रहे हैं। जिससे व्यापारियों का व्यापार चौपट हो रहा है। वही लोग मुख्य बाजार से निकलने में भी परहेज करने लगे हैं। आवश्यक जरूरत होने पर ही लोग बाजार के लिए निलकते हैं।
व्यापारी सहित आमजन हो रहे परेशान
ओव्हर ब्रिज निर्माण कार्य से निकली मिट्टी पूरे सड़क में फै ली हुई है। ऐसे में चन्द घंटो की बारिश से पूरी सड़क की हालत बेहद खराब हो गई है। बारिश के कारण सड़क कीचड़ से भर गया है। जिससे आम लोगों का चलना-फिरा मुश्किल हो गया है। कीचड़ से सराबोर सड़क की हालत इतनी दैयनीय हो चुकी है कि लोगों को जुते-चप्पल हाथ में लेकर सड़क पार करनी पड़ रही है। बरगवां बाजार में स्थित बैंक, गैस एजेंसियां सहित आवश्यक कामों के लिए दुकानों तक पहुंचना लोगों को किसी चुनौती से कम नही लग रही। बाजार में निकलना जान जाखिम में डालने जैसा लगने लगा है। फिसलन भरी सड़क में सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है।
