
देवास। जिले की कृषि उपज मंडी में किसानों की सुविधा के लिए करोड़ों रुपए की लागत से बनाए जा रहे डोम अब चर्चा और विवाद का विषय बनते जा रहे हैं। जिन डोमों का उद्देश्य किसानों को धूप और बारिश से राहत देना था, वे अब व्यापारियों की दुकानों के सामने बनाए जा रहे हैं। इससे मंडी प्रशासन की नीयत और निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंडी प्रांगण क्रमांक-2 में बनाए जा रहे ये डोम कुछ चुनिंदा व्यापारियों की दुकानों के ठीक सामने बनाए जा रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि इन डोमों की लोकेशन तय करने के लिए विगत दिनों तत्कालीन मंडी सचिव को कुछ व्यापारियों द्वारा चंदा भी दिया गया था। इसके बाद निर्माण की दिशा में बदलाव करते हुए गोदामों के सामने डोम तैयार किए जा रहे हैं।
किसानों को उम्मीद थी कि ये डोम उनकी उपज को सुरक्षित रखने और मंडी में बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने में मददगार साबित होंगे। लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि इनका सीधा लाभ मंडी में पहले से स्थापित व्यापारियों को मिलेगा, जबकि किसान खुले में ही बैठने को मजबूर हैं।
पानी की टंकी में चल रहा निजी ऑफिस
इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि मंडी परिसर में वर्षों पूर्व बनी पेयजल टंकी को भी अब एक व्यापारी द्वारा निजी ऑफिस के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि मंडी प्रशासन की मिलीभगत का संकेत भी देता है।
प्रशासनिक चुप्पी ने बढ़ाई शंका
पूरा मामला सामने आने के बाद भी मंडी प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। इससे यह शंका और गहराने लगी है कि कहीं यह पूरा घटनाक्रम योजनाबद्ध साठगांठ का हिस्सा तो नहीं?
जनता और किसान संगठनों की मांग: हो उच्चस्तरीय जांच
कई किसान संगठनों और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि करोड़ों की सार्वजनिक योजना को व्यापारिक लाभ के लिए मोड़ा जा रहा है तो यह न केवल नैतिक, बल्कि कानूनी रूप से भी गंभीर मामला है।
