आस्था के सहारे आतंकवाद को जवाब

पवित्र अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ हमेशा से ही आस्था और भक्ति का प्रतीक रहा है, लेकिन इस वर्ष इसका महत्व कहीं अधिक गहरा गया है. 3 जुलाई, 2025 को शुरू हुई यह 38 दिवसीय यात्रा, जो 9 अगस्त को रक्षाबंधन के पावन पर्व पर संपन्न होगी, मात्र एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि दृढ़ इच्छाशक्ति और अटूट विश्वास का प्रत्यक्ष प्रमाण है. विशेषकर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बावजूद, जिस तरह से श्रद्धालुओं का उत्साह और पंजीकरण का आंकड़ा (साढ़े तीन लाख से अधिक) बरकरार है, वह यह साबित करता है कि आतंकवादी अपने नापाक मंसूबों में कभी कामयाब नहीं होंगे.

इस यात्रा का पहला जत्था, जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. यह सिर्फ यात्रियों की आवाजाही नहीं, बल्कि राष्ट्र के अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प का मार्च था.जिस तरह से प्रत्येक श्रद्धालु के चेहरे पर भगवान शिव के दर्शन की लालसा झलक रही थी, वह किसी भी आतंकी साजिश से कहीं अधिक शक्तिशाली है.

पहलगाम की घटना के बाद, अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व स्तर तक मजबूत किया गया है. लगभग 50,000 अर्ध सैनिक बलों की तैनाती, भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों का समन्वय, ड्रोन निगरानी, जीपीएस ट्रैकिंग जैसी आधुनिक तकनीकें, यह सब केवल सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के विश्वास को और मजबूत करने के लिए है. यह दिखाता है कि सरकार और सुरक्षा बल श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कटिबद्ध हैं.

पहाड़ी बचाव दल और चिकित्सा सुविधाओं की व्यापक उपलब्धता भी यह सुनिश्चित करती है कि प्राकृतिक चुनौतियों का सामना भी पूरी तैयारी के साथ किया जा सके. यह अभूतपूर्व सुरक्षा घेरा आतंक के खिलाफ हमारी दृढ़ता का स्पष्ट संदेश है. हालांकि राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और खुफिया तंत्र को भी और चौकस रहने की जरूरत है.दरअसल, सीमा पार से संचालित आतंकवादी संगठन और उनके आका लगातार जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने और लोगों के मन में डर पैदा करने की कोशिश करते रहे हैं. उनका उद्देश्य पवित्र यात्राओं को बाधित करना और धार्मिक सद्भाव को बिगाडऩा है, लेकिन अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का यह अथाह उत्साह और अटूट विश्वास उनकी सभी साजिशों पर भारी पड़ा है. यह यात्रा न केवल एक धार्मिक कर्तव्य का निर्वहन है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एक मौन, फिर भी शक्तिशाली विरोध भी है.

जब लाखों श्रद्धालु इतनी कड़ी सुरक्षा के बीच, विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी पवित्र गुफा की ओर बढ़ते हैं, तो यह आतंकवादियों और उनके समर्थकों को एक स्पष्ट संदेश देता है कि भारत के लोग न तो डरेंगे और न ही झुकेंगे. वे अपनी आस्था और अपने देश के प्रति प्रतिबद्ध हैं. यह यात्रा आतंकवादियों के ‘नैरेटिव’ को ध्वस्त करती है और दिखाती है कि जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल हो रही है और शांति की इच्छा हर भय से ऊपर है.

अमरनाथ यात्रा 2025 केवल तीर्थयात्रा नहीं, बल्कि भारत की अविचल आत्मा, अटूट आस्था और आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता का प्रतीक है.यह यात्रा साबित करती है कि आस्था की अग्नि और राष्ट्रीय एकता का बल किसी भी नापाक इरादे से कहीं अधिक शक्तिशाली है. जाहिर है बाबा बर्फानी के प्रति आस्था दरअसल आतंकवादियों को श्रद्धालुओं का करारा जवाब है कि आतंकवाद के आका भारतीयों के हौसलों को कभी नहीं डिगा पाएंगे.

 

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