इंदौर: किसानों को डीएपी खाद के लिए परेशान होना पड़ रहा है. दूसरी ओर डीलर ,कंपनी के अधिकारियों से मिली भगत कर कालाबाजारी कर रहे हैं. नियमानुसार कंपनी से डीएपी आने पर उसे कृषि विभाग की सूचना के बगैर कहीं नहीं भेजा जा सकता है. गत दिनों हरदा जिले में डीलर और कंपनी की मिली भगत से भारी मात्रा में डीएपी की कालाबाजारी का मामला पकड़ा गया था, जिसमें एक ही फर्म डीलर, हैंडलर, और ट्रांसपोर्टर थी और बगैर कृषि विभाग को जानकारी दिए आसपास के सभी जिलों में डीएपी के कालाबाजारी कर रही थी.
संयुक्त किसान मोर्चा के रामस्वरूप मंत्री, बबलू जाधव शैलेंद्र पटेल और चंदन सिंह बडवाया ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि पूरे मालवा निमाड़ अंचल में डीएपी की भारी कालाबाजारी की जा रही है. किसानों को महंगे दामों पर जरूरत का खाद खरीदना पड़ रहा है कृषि विभाग का भी खाद वितरण पर कोई नियंत्रण नहीं है. किसान नेताओं ने बताया कि ग्रामीण सोसाइटी पर किसानों को खाद नहीं मिल रही है जबकि कालाबाजारी में भरपूर मात्रा में खाद उपलब्ध है ।
यही इस बात का सबूत है कि डीलर कंपनी के अधिकारियों से मिली भगत कर खाद की भारी रूप से कालाबाजारी कर रहे हैं. नियमानुसार कंपनी से रेलवे की रेक पर खाद उतरते ही उसको और ऑनलाइन पोर्टल पर चढ़ाया जाना चाहिए तथा इसकी जानकारी कृषि विभाग को दी जाना चाहिए. बाद में उसे कहीं भी भेजे जाने के लिए कृषि विभाग की अनुमति लिया जाना जरूरी है, लेकिन पूरे अंचल में ऐसा कहीं नहीं हो रहा है और डॉलर अपनी मन मर्जी से डीएपी का परिवहन कर रहा है तथा कालाबाजारी में बेचा जा रहा है.
उच्च स्तरीय जांच की मांग
किसान नेताओं ने इंदौर उज्जैन संभाग के खाद वितरण की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने तथा अभी तक कितनी खाद आई है, किन-किन गोदाम में रखी गई है तथा किन-किन व्यापारियों को वितरित की गई है. इसकी भी पूरी जांच कराए जाने की मांग की है कृषि वभाग भी खाद्य वितरण पर निगरानी रखने में असफल रहा है इसलिए जरूरी है कि हरदा की तरह इंदौर में भी छापे लगाए जाएं और खाद की कालाबाजारी रोकने कड्ड उच्च स्तरीय प्रयास किए जाएं.
