इंदौर की बजाय जबलपुर का पोहा देश प्रसिद्ध

जबलपुर: महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू के द्वारा नवाचार किया गया। विश्व पोहा दिवस पर महापौर ने बंगले में पोहा चर्चा की। परंपरागत रूप से पोहे जलेबी को पत्ते के दोनों में परोसा गया। विधायकों, अधिकारियों, पार्षदों के साथ पत्रकारों ने पोहे का जमकर लुत्फ उठाया। नवाचार संस्कारधानी में चर्चित रहा।मेयर आवास में पोहा पार्टी देने वाले मेयर जगत बहादुर अन्नू ने कहा कि पोहे का अपना अलग ही मजा है, जायके के मामले में जबलपुर का जवाब नहीं है.

जबलपुर के नाश्ते और भोजन के स्वाद का कोई तोड़ नहीं है, जबलपुर मे निर्मित होने वाला पोहा अपनी अलग पहचान रखता हैं। इंदौर, देवास, नागपुर के लोग अपने यहां के पोहे को बेहतर बताते हैं। पोहे पर चर्चाएं यहां तक पहुंची कि जबलपुर का राजनीतिक नेतृत्व अगर इंदौर के राजनीतिक नेतृत्व जितना सशक्त होता तो आज इंदौर की बजाय जबलपुर का पोहा देश प्रसिद्ध होता।
ऐसे हुई है शुरुआत
2023 से हर साल 7 जून को विश्व पोहा दिवस के रूप में मनाया जाता है। पोहे के उत्पत्ति की शुरूवात महाराष्ट्र में हुई थी। आजादी के बाद पोहे का लुत्फ इंदौर में उठाया गया इसके बाद मालवा और जबलपुर में इसकी शुरूआत मिलीनीगंज क्षेत्र से हुई थी, यहां मेवा-मिष्ठान भंडार से पोहा चला। आज भी ये दुकान चल रही है। आज पोहा पूरे देश में छाया हुआ है।

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