
पचमढ़ी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि पचमढ़ी अभयारण्य को राजा भभूत सिंह पचमढ़ी अभयारण्य के नाम से जाना जाएगा। यह राजा भभूत सिंह के पर्यावरण प्रेम और पचमढ़ी को विदेशी ताकतों से संरक्षित रखने के आजीवन अथक प्रयासों को समर्पित है। अभयारण्य में राजा भभूत सिंह के जीवन, संघर्ष, वीरता और योगदान से संबंधित जानकारी को प्रदर्शित किया जाएगा। यह कदम न केवल स्थानीय गौरव को बढ़ावा देगा बल्कि अभयारण्य की पहचान को भी मजबूत करेगा। यह क्षेत्र के ऐतिहासिक और प्राकृतिक महत्व का प्रतीक बनेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव, पचमढ़ी में राजभवन में मंत्रि-परिषद की बैठक के पहले, मंत्रि-परिषद के सदस्यों को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राजा भभूत सिंह का आदिवासी समाज पर बहुत अधिक प्रभाव रहा है। उनकी वीरता के किस्से आज भी लोकमानस की चेतना में जीवंत हैं। राजा भभूत सिंह के योगदान को स्मरण करने के लिए मंत्रि-परिषद की बैठक पचमढ़ी में आयोजित की गई है। यह राजा भभूत सिंह के योगदान को समाज के सामने लाने का एक प्रयास है।
राजा भभूत सिंह का स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि राजा भभूत सिंह सन् 1857 में आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तात्या टोपे के मुख्य सहयोगी थे। अपनी छापामार युद्ध नीति के कारण ही भभूत सिंह नर्मदांचल के शिवाजी कहलाते हैं। राजा भभूत सिंह को पकडऩे के लिए ही मद्रास इन्फेंट्री को बुलाना पड़ा था। राजा भभूत सिंह अपनी सेना के साथ 1860 तक लगातार अंग्रेजों से सशस्त्र संघर्ष करते रहे, अंग्रेज पराजित होते रहे। अंग्रेज दो साल के बाद राजा भभूत सिंह को गिरफ्तार कर पाए।
