इसरो, जाक्सा ने संयुक्त चंद्रयान-5/लूपेक्स मिशन के लिए की तकनीकी बैठक

चेन्नई 16 मई (वार्ता) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जापान की अंतरिक्ष एजेंसी ‘जाक्सा’ ने चंद्रयान-5/लूपेक्स मिशन के लिए तीसरी आमने-सामने तकनीकी इंटरफेस बैठक (टीआईएम-3) का संयुक्त रूप से आयोजन किया।

चंद्रयान-5/लूपेक्स मिशन भारत के चंद्र अन्वेषण अभियान में प्रमुख अल्पकालिक मील के पत्थरों में से एक होगा, जिसमें वर्ष 2040 तक भारतीय गगनयात्रियों (अंतरिक्ष यात्रियों) के चंद्रमा पर उतरने की परिकल्पना की गई है।

इसरो ने शुक्रवार को जारी बयान में बताया कि बैठक इसरो मुख्यालय, बेंगलुरु में आयोजित की गई और इसमें इसरो, जाक्सा और मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज (एमएचआई), जापान के वरिष्ठ अधिकारियों, परियोजना अधिकारियों और तकनीकी टीम के सदस्यों ने भाग लिया।

चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 (ऑर्बिटर-आधारित चंद्र अन्वेषण), चंद्रयान-3 (लैंडर-रोवर आधारित इन-सीटू अन्वेषण) और आगामी चंद्रयान-4 (भारत का पहला चंद्र नमूना वापसी मिशन) की विरासत के बाद, चंद्रयान-5/ लूपेक्स (चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण) मिशन चंद्रयान श्रृंखला के चंद्र मिशनों में पाँचवाँ मिशन होगा, जो जाक्सा के सहयोग से, चंद्र दक्षिण ध्रुव में स्थायी रूप से छायांकित क्षेत्र (पीएसआर) के आसपास के क्षेत्र में चंद्र जल सहित चंद्र वाष्पशील पदार्थों का अध्ययन करेगा।

मिशन को जाक्सा द्वारा अपने एच3-24एल लॉन्च वाहन पर लॉन्च किया जाएगा, जो इसरो द्वारा निर्मित चंद्र लैंडर को ले जाएगा जिसमें जापान निर्मित चंद्र रोवर एमएचआई होगा। इसरो, चंद्र लैंडर को विकसित करने के अलावा, मिशन के लिए कुछ वैज्ञानिक उपकरणों को विकसित करने के लिए भी जिम्मेदार है। इस मिशन के लिए वैज्ञानिक उपकरण इसरो, जाक्सा, ईएसए और नासा द्वारा प्रदान किए जाएंगे, जो सभी विषयगत रूप से चंद्र ध्रुवीय क्षेत्र में आरक्षित वाष्पशील पदार्थों के अन्वेषण और इन-सीटू विश्लेषण से जुड़े होंगे।

चंद्रयान-5/लूपेक्स मिशन के लिए भारत सरकार से 10 मार्च, 2025 को वित्तीय मंजूरी के रूप में स्वीकृति प्राप्त हुई थी।

बैठक के दौरान, इसरो के वैज्ञानिक सचिव एम. गणेश पिल्लई ने अब तक की तकनीकी उपलब्धियों के लिए दोनों टीमों को बधाई दी और मिशन के वैज्ञानिक और तकनीकी पहलुओं के लिए सहयोगात्मक प्रयास के महत्व पर जोर दिया।

इसरो मुख्यालय के विज्ञान कार्यक्रम कार्यालय के निदेशक डॉ. तीर्थ प्रतिम दास ने लैंडिंग साइट चयन, पेलोड अनुकूलन, मिशन डिजाइन, साथ ही ग्राउंड सेगमेंट और संचार पहलुओं के संदर्भ में हासिल किए गए प्रमुख मील के पत्थरों के बारे में जानकारी दी।

चंद्रयान-5/ लूपेक्स के अध्ययन दल के प्रमुख जी रवि चंद्र बाबू ने प्राप्त तकनीकी विन्यास के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने परियोजना के मील के पत्थर, समयसीमा और डिलीवरेबल्स की स्पष्ट परिभाषा की आवश्यकता पर जोर दिया।

श्री दाई-असोह, जेएक्सए ने रोवर के विकास और संबंधित इंटरफेस की दिशा में की गई तकनीकी प्रगति के बारे में जानकारी दी।

दो दिवसीय आमने-सामने की बैठक में विभिन्न तकनीकी इंटरफेस, संयुक्त मिशन कार्यान्वयन योजना, साथ ही मिशन के लिए संभावित लैंडिंग साइटों पर विचार-विमर्श किया गया।

 

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