ढाका, 09 मई (वार्ता) बंगलादेश में चरमपंथियों ने मदारीपुर में कुमार नदी के तट पर 200 वर्ष पुराने बरगद के पेड़ को काट डाला है जिसके नीचे स्थानीय लोग मिट्टी के दीये जलाने और प्रार्थना करने जैसे अनुष्ठान कर रहे थे।
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस पेड़ में ‘रहस्यमय शक्तियां’ हैं, जिसके कारण लोग इसके नीचे मोमबत्तियां जलाते हैं और मन्नतें मांगते हैं। इस प्रथा को गैर-इस्लामी मानते हुए चरमपंथियों ने ‘बिद-अह’(नवाचार) का हवाला देते हुए पेड़ को काट डाला।
घटना की सोशल मीडिया पर व्यापक आलोचना हुई है, जिसमें कई स्थानीय लोगों ने अपनी असहमति व्यक्त की है।
बिजनेस स्टैंडर्ड बीडी की रिपोर्ट के मुताबिक पेड़ को काटे जाने के दौरान कई स्थानीय लोग मौजूद थे लेकिन वे डर के कारण इस कृत्य का विरोध नहीं किया और चुप रहे।
चरमपंथी हालांकि वर्षों से इस प्रथा का विरोध में थे,लेकिन वे सरकारी कार्रवाई के कारण कार्रवाई करने में असमर्थ थे। मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने कट्टरपंथियों को खुली छूट दे दी है, जिससे चरमपंथी समूह अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं।
घटना के संबंध में शिकायतें दर्ज करायी गयी है लेकिन अभी तक पुलिस या नागरिक प्रशासन की ओर से अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।