भारतीय संस्कृति को जीवित रखना है तो देनी होगी वैदिक शिक्षा-अवधेशानंद

जयपुर 17 अप्रैल (वार्ता) जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज ने वैदिक शिक्षा को बढ़ावा देने की जरुरत बताते हुए कहा है कि भारतीय संस्कृति को जीवित रखना है तो हमें वैदिक शिक्षा देनी होगी ताकि पीढ़ी हमारे सनातन संस्कृति से जुड़ सके।

आचार्य अवधेशानंद ने गुरुवार को यहां जगतगुरू रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में शरीक होने के अवसर पर राजस्थान के संस्कृत शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के साथ चर्चा के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अब वेदों के महत्व को लोग जानने लगे हैं। जर्मनी के विश्वविद्यालय में वेद की शिक्षा दी जा रही है। हमें भी वैदिक शिक्षा को बढ़ावा देना होगा।

उन्होंने कहा कि राजस्थान हिंदू सनातन संस्कृति की पुण्य भूमि है। जिसने सदैव सनातन संस्कृति को महत्व दिया है। वैदिक शिक्षा का राजस्थान में विशेष महत्व है। उन्होंने राजस्थान में वैदिक शिक्षा एवं संस्कृत बोर्ड का गठन किये जाने की सराहना करते हुए कहा कि यह उत्तम कार्य है। इसके माध्यम से वेद विद्यालय, वेद पाठशालाएं तथा वैदिक शिक्षा दी जाए तो अति उत्तम होगा।

इस अवसर पर श्री दिलावर ने कहा कि हमने प्रदेश में वैदिक एवं संस्कृत शिक्षा बोर्ड का गठन इसलिए किया है कि हमारे यहां बड़ी संख्या में वैदिक पाठशालाएं, वेद विद्यालय और यज्ञशालाएं संचालित है। इस बोर्ड के माध्यम से संस्कृत शिक्षा और वैदिक शिक्षा को बढ़ावा दिया जायेगा।

श्री दिलावर ने आचार्य अवधेशानंद को बताया कि राजस्थान प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसमें घुमंतू जाति के लोगों को उनके गांव में ही आवासीय पट्टे निशुल्क दिए हैं ताकि वह अपना स्थाई आवास बना सके और समाज की मुख्य धारा से जुड़ सके। महामंडलेश्वर ने राज्य सरकार के इस प्रयास की प्रशंसा की और इसे लोक कल्याणकारी कदम बताया।

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