नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (वार्ता) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में तीन दिवसीय ‘अयोध्या पर्व’ के शुभारम्भ के अवसर पर तीन प्रदर्शनियों का उद्घाटन और तीन किताबों का विमोचन किया गया है।
आईजीएनसीए की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि शुक्रवार को मर्यादा पुरुषोत्तम’ पर आधारित पद्मश्री वासुदेव कामत के चित्रों की प्रदर्शनी, वाल्मीकि रामायण पर आधारित पहाड़ी लघुचित्र प्रदर्शनी और चौरासी कोसी अयोध्या के तीर्थस्थल पर आधारित ‘बड़ी है अयोध्या’ प्रदर्शनी लगाई गयी है।
प्रदर्शनी का उद्घाटन अयोध्या के मणिरामदास छावनी के महंत पूज्य कमल नयन दास जी महाराज, गीता मनीषी महामंडलेश्वर पूज्य ज्ञानानंद जी महाराज, जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा, आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय, आईजीएनसीए के ट्रस्टी वासुदेव कामत ने किया। इस मौके पर गणमान्य अतिथियों ने तीन पुस्तकों का विमोचन भी किया।
इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने प्रदर्शनियों का अवलोकन किया।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने कहा, “अयोध्या आनंद और जागृति की कुंजी है। अयोध्या हमारी सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। अयोध्या हमारी प्रेरक शक्ति है। अयोध्या राष्ट्र का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आधार भी है। हज़ारों वर्षों से अयोध्या ने हमारी राष्ट्रीय पहचान और पूरे समाज को जोड़े रखने में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”
युवाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मैं नई पीढ़ी से जरूर कहना चाहूंगा कि एक तरफ अयोध्या में जहां आप अध्यात्म का स्वर्ण शिखर देख सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ अयोध्या में आपको व्यक्तिगत मूल्यों और आकांक्षाओं का प्रतीक मूल्य भी स्पष्ट रूप से नजर आएगा।”
श्री सिन्हा ने कहा कि आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम चला रहा है।
आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने कहा, “भौतिक अयोध्या 84 कोस की हो सकती है, लेकिन आध्यात्मिक अयोध्या अनंत है, आकाश की तरह अनंत।”
गीता मनीषी पूज्य ज्ञानानंद जी ने कहा, “भारत परम्पराओं का देश है। इसमें पर्व परम्परा का विशिष्ट स्थान है। भारत केवल भौगोलिक आकार नहीं है, एक विचार है। एक चिंतन है।”
पूज्य महंत कमल नयन दास महाराज ने कहा, “जब तक समरसता नहीं होगी, तब तक ज्ञान की पूर्णता भी नहीं होगी।”
उद्घाटन सत्र के बाद, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की शृंखला में राजकुमार झा और उनके साथी कलाकार विनोद व्यास तथा पंकज ने मृदंग वादन से समां बांध दिया। इसके बाद, प्रज्ञा पाठक, विनोद व्यास, साकेत शरण मिश्र एवं उनके साथी कलाकारों ने अपने भजन गायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
यह तीन दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव श्रद्धा, शास्त्रीयता और संवाद का संगम होगा, जिसमें देशभर के साधु-संत, सांस्कृतिक मनीषी, राजनेता, विद्वान, और कलाकार एक साथ जुटेंगे।
पर्व के दूसरे दिन यानी आज पूर्वाह्न 11 बजे ‘भारतीय समाज में मंदिर प्रबंधन’ विषय पर एक संगोष्ठी हुयी, जिसमें अयोध्या के प्रमुख संत-महंतों के साथ प्रशासनिक और सांस्कृतिक विद्वान शामिल हुए।
अंतिम दिन 13 अप्रैल को पूर्वाह्न 11 बजे ‘कुबेरनाथ राय के निबंधों में श्रीराम’ विषय पर संगोष्ठी में हिंदी साहित्य के विद्वान भाग लेंगे।
समापन समारोह में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष पूज्य गोविंद देव गिरि जी महाराज, मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय, आईजीएनसीए के डीन (प्रशासन) एवं कला निधि प्रभाग के प्रमुख प्रो. रमेश चंद्र गौड़ और सुप्रसिद्ध कलाकार सुनील विश्वकर्मा की उपस्थिति रहेगें। इस मौके पर फौजदार सिंह और साथी कलाकार आल्हा गायन तथा लोकगायिका विजया भारती लोकगीतों की प्रस्तुति देंगी।
‘अयोध्या पर्व 2025’ का आयोजन कला, अध्यात्म और भारतीय जीवनमूल्यों के नवसंचार का एक अनूठा प्रयास है।