युगलपीठ ने कहा है कि नीट उत्तीर्ण एलआईजी परिवार के छात्रों के प्रवेश लेने के तीन माह के भीतर शासन उनकी पूरी वार्षिक फीस व शुल्क का संस्थान को भुगतान कर दे। यह राशि संस्थान के खाते में नहीं वरन छात्र व संस्थान के संयुक्त खाते में जमा होगी। ये एकाउंट छात्र के आधार, पैन आदि से लिंक होगा ताकि एक छात्र के नाम पर दो बार फीस जमा नहीं हो पाए।
इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि छात्र किसी सत्र में अनुत्तीर्ण होता है तो शासन उसकी छात्रवृत्ति रोक नहीं सकते। इसके लिए निजी संस्थानों की यह जिम्मेदारी होगी कि वह योजना के तहत प्रवेश लेने वाले छात्रों की पूरी जानकारी सरकार को भेजे ताकि समय पर उनकी फीस जमा हो सके। प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों की ओर से याचिका दायर कर राज्य सरकार की उक्त योजना को चुनौती दी गई थी। याचिका में उक्त योजना को निजी कॉलेजों पर बाध्य करने को चुनौती दी गई थी। दलील दी गई कि कमजोर वर्ग के छात्रों का राज्य शासन द्वारा निजी संस्थानों में प्रवेश तो करा दिया जाता है, लेकिन उनका शिक्षण शुल्क समय पर नहीं दिया जाता। कई बार तो संस्थानों को कई वर्ष तक यह भुगतान नहीं किया जाता है। सुनवाई पश्चात न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये।