कोलकाता, 04 अप्रैल (वार्ता) वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के बीच निवेशकों के बढ़ते भरोसे की बदौलत इस वर्ष की पहली तिमाही में रियल एस्टेट क्षेत्र में संस्थागत निवेश 31 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 1.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
कोलियर्स की जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि में वाणिज्यिक ऑफिस स्पेस में सबसे अधिक निवेश हुआ, जो कुल निवेश का 48 प्रतिशत यानी 62.4 करोड़ डॉलर है। औद्योगिक और वेयरहाउसिंग क्षेत्र में 27 प्रतिशत अर्थात 35.1 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ।
इसी तरह आवासीय क्षेत्र में कुल निवेश का 15 प्रतिशत यानी 19.5 करोड़ डॉलर रहा।
रिपोर्ट के अनुसार, कुल निवेश का 72 प्रतिशत विदेशी संस्थागत निवेशकों से आया, जिसमें सिंगापुर, कनाडा और अमेरिका के निवेशक सबसे आगे रहे। घरेलू निवेशकों की भागीदारी भी बढ़ी, जो पिछले साल के 22 प्रतिशत से बढ़कर 28 प्रतिशत हो गई।
रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) ने कुल निवेश का 19 प्रतिशत यानी 24.7 करोड डॉलर निवेश आकर्षित किया, जो पिछले साल की तुलना में 45 प्रतिशत अधिक है। ग्रेड-ए कार्यालय स्पेस की मांग में वर्ष 2025 तक 18-20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद है, जिसमें गुरुग्राम और नोएडा का बड़ा योगदान रहेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रीमियम वाणिज्यिक भवनों में औसत किराया रिटर्न सात से आठ प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है। आवासीय बाजार में भी तेजी, खासकर मिड और लक्जरी होम्स की मांग में। वर्ष 2025 की पहली तिमाही में नई लॉन्चिंग में 24 प्रतिशत की बढ़त देखी गई।
कोलियर्स के अनुसार, दिल्ली एनसीआर में वर्ष 2025 तक कुल 80 से 90 करोड़ डॉलर का संस्थागत निवेश हो सकता है। इसके पीछे सरकारी नीतियों, बेहतर नियमों और क्षेत्र की आर्थिक अहमियत का बड़ा योगदान होगा।
रॉयल ग्रीन रियल्टी के प्रबंध निदेशक यशांक वासन ने कहा, “वर्ष 2025 की पहली तिमाही में संस्थागत निवेश में 31 प्रतिशत की वृद्धि यह दर्शाती है कि भारत का रियल एस्टेट क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है। दिल्ली एनसीआर विशेषकर गुरुग्राम और नोएडा में, ग्रेड-A कार्यस्थलों की उच्च मांग और द्वारका एक्सप्रेसवे के आसपास की संपत्तियों के कारण निवेशकों का रुझान बढ़ रहा है।”
मैप्सको ग्रुप के निदेशक राहुल सिंगला ने कहा, “यह सिर्फ पूंजी प्रवाह का मामला नहीं है बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था, शहरी विकास और बुनियादी ढांचे में निवेशकों के बढ़ते विश्वास का संकेत है। डेवलपर के लिए यह अवसर है कि वे गुणवत्तापूर्ण परियोजनाओं के जरिए उच्च मानकों को बनाए रखें और लंबी अवधि के लिए मूल्य सृजन सुनिश्चित करें।”
