पॉक्सो एक्ट के संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं करने का मामला
जबलपुर। यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण पॉक्सो एक्ट का 12 वर्ष बाद भी सार्वजनिक रूप से समुचित प्रचार-प्रसार नहीं किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से जवाब पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया। हाईकोर्ट ने दो सप्ताह का समय प्रदान करते हुए कहा है कि जवाब पेश नहीं करने पर दस हजार रूपये की कॉस्ट लगाने की चेतावनी दी है।
जबलपुर निवासी अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम 2012 की धारा 43 में निहित वैधानिक प्रावधानों का परिपालन सुनिष्चित रूप किए जाने का प्रावधान है। पॉक्सो अधिनियम के उद्देश्य को देखते हुए विधायिका ने अपने विवेक से पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता के लिए राज्य की जिम्मेदारी सुनिश्चित की थी। अधिनियम के प्रावधानों के लागू होने के बाद से केंद्र और राज्य सरकारों ने अधिनियम के प्रावधानों, विशेष रूप से कड़ी सजा के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कोई उल्लेखनीय पहल की है। अधिनियम में निहित कानूनी अनिवार्यताओं के बारे में उनकी अज्ञानता के कारण अधिनियम के कठोर दंडात्मक प्रावधान के दायरे में आकर युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है।
याचिका में केन्द्र सरकार के मुख्य सचिव गृह मंत्रालय,केन्द्रीय सचिव महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ,अध्यक्ष बाल अधिकार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, प्रदेश सरकार में मुख्य सचिव गृह विभाग, प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग, अध्यक्ष मध्य प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग तथा पुलिस महानिदेशक भोपाल को अनावेदक बनाया गया था। याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था।
याचिका की सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार के गृह तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से जवाब पेश करने समय प्रदान करने का आग्रह किया गया। प्रदेश सरकार की तरफ से किये गये प्रचार-प्रसार के संबंध में जानकारी पेश की गयी। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि कठोर दंडात्मक प्रावधान से अनभिज्ञ कई किशोर व युवा अपराध के दलदल में फंसते चले जा रहे हैं। इस संबंध में प्रचार प्रचार नहीं किया गया है। युगलपीठ ने सुनवाई उक्त आदेष के साथ केंद्र सरकार को जवाब पेष करने समय प्रदान किया है। इसके अलावा अध्यक्ष बाल अधिकार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग तथा अध्यक्ष मध्य प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पुन नोटिस जारी करने के आदेश जारी किये है। याचिका पर अगली सुनवाई 13 मई को निर्धारित की गयी है।