नयी दिल्ली 26 मार्च (वार्ता) सरकार ने लोकसभा में बुधवार को कहा कि भारत की परमाणु ऊर्जा नीति में सुरक्षा सर्वोपरि कारक है और मोदी सरकार ‘सुरक्षा प्रथम, परमाणु ऊर्जा उत्पादन बाद में’ के मूल मंत्र के साथ काम करती है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि भारत की परमाणु ऊर्जा नीति में सुरक्षा सर्वोपरि कारक है और मोदी सरकार ‘सुरक्षा प्रथम, परमाणु ऊर्जा उत्पादन बाद में’ के मूल मंत्र के साथ काम करती है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में काम करने वाले कर्मियों और उसके आसपास रहने वाले लोगों के लिहाज से सुरक्षा मानकों का पूरा ध्यान रखा जाता है और विकिरण के प्रभावों पर सतत निगरानी रखी जाती है।
श्री सिंह ने कहा कि वैश्विक संस्थाएं भी निगरानी करती हैं तथा इन संयंत्रों में और इनके आसपास हुए कुछ हालिया अध्ययन बनाते हैं कि यहां विकिरण वैश्विक मानकों से बहुत कम है।
उन्होंने एक अन्य पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि तमिलनाडु में कुडनकुडलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में विकिरण का स्तर एक दशक पहले 0.081 माइक्रोसीवर्ट था जो अब घटकर केवल 0.002 के स्तर पर रह गया है। इसी तरह कलपक्कम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में भी विकिरण के स्तर में काफी कमी आई है।
केंद्रीय मंत्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि राजस्थान के सीकर में यूरेनियम के बड़े भंडार का पता चलने संबंधी सांसद की सूचना बिल्कुल सही है। पर्यावरण मंजूरी की वजह से काम रुका हुआ है। प्रदेश सरकार के साथ इस संबंध में संपर्क बना हुआ है। मंजूरी मिलने और औपचारिकताएं पूरी होने के बाद निश्चित ही हमें एक बड़ा (यूरेनियम) भंडार राजस्थान से मिलेगा।
उन्होंने कहा कि देश में संचालित कुल 25 परमाणु ऊर्जा रिएक्टर में से सर्वाधिक सात राजस्थान में हैं।
